Chanakya Niti : जीवन में हर कोई तरक्की, सफलता और धन-संपत्ति से परिपूर्ण रहना चाहता है, लेकिन इस कमाई में कोई ग्रहण न हो, कोई कमी न हो, इसके लिए इसका एक हिस्सा दान करने का भी विधान है.
आचार्य चाणक्य के शब्दों में कहें तो जीवन में सच्चाई और ईमानदारी से अर्जित धन भी आपके अनुकूल रहे, इसके लिए इसका एक हिस्सा जरूरतमंदों को दान करना चाहिए. जरूरी नहीं कि यह आर्थिक रूप में हो. यह वस्त्र, शिक्षा, अन्न या सामग्री के तौर पर भी मान्य है. इसी तरह बचत का प्रावधान है, जिसमें कमाई का हिस्सा जरूर बचत करके रखें, क्योंकि कठिन समय में यह आपके लिए संजीवनी साबित होगा. ये उक्ति जरूर कही जाती है कि खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाना है, मगर जब तक दुनिया में हैं, तब तक आजीविका-परिवार के पालन-पोषण के लिए धनार्जन जरूरी है.
धन से करें इन रिश्तों की परीक्षा
व्यक्ति को धन रखते हुए भी इस आधार पर एक बार रिश्तों की परख जरूर करनी चाहिए. इसमें पत्नी की परीक्षा धन और संपत्ति खोने के बाद तो दोस्त की जरूरत के समय, नौकर को जिम्मेदारी भरा काम देने के बाद परखना जरूरी है.
ऐसे धन का मोह छोड़ दें
ऐसा धन जो काफी परिश्रम के बाद आए और इसके लिए आपको धर्म तक छोड़ना पड़ जाए, शत्रुओं की खुशामद करनी पड़े तो इस तरह की कमाई को कभी हाथ न लगाएं.
कला और दान-पुण्य ही असली धन
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को ऐसी जगह रहना नहीं चाहिए, जहां लोग नियम-कानून से नहीं डरते हैं, लोग चतुर नहीं होते हैं और दान-पुण्य की भावना की कमी हो, इसी तरह जहां कला का वास न हो, वहां भी धन नहीं टिक सकता।
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