Ganesh Katha: आखिर क्यों गणेश जी की पूजा में भूलकर भी नहीं शामिल करनी चाहिए तुलसी पत्र, जानें पौराणिक कथा
Ganesh Puja: हिंदू धर्म में गणेश पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजा के साथ ही की जाती है. बुधवार का दिन गणेश भगवान को समर्पित है.
Ganesh Puja: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में गणेश पूजा (ganesh puja) का विशेष महत्व है. कहते हैं कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजा के साथ ही की जाती है. बुधवार का दिन गणेश भगवान (Ganesh Puja On Wednesday) को समर्पित है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भक्त गणेश जी की सच्चे दिल से अराधना करते हैं उनके दुख गणेश जी हर लेते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. शास्त्रों में लिखा है कि भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. गणेश जी अपने भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष और दरिद्रता को दूर कर उनके जीवन में आर्थिक तंगी को दूर करते हैं. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. लेकिन गणेश जी की पूजा करने से पहले कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना जरूरी होता है. कहते हैं कि पूजा के दौरान गणेश जी को कभी भी तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए. आइए जानते हैं एक पौराणिक कथा में इसका कारण.
गणपति जी क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार धर्मात्मज नाम का एक राजा था. उसकी एक बेटी तुलसी थी. तुलसी अपने विवाह की इच्छा लेकर एक लंबी यात्रा पर निकल पड़ी. कई जगह घूमने के बाद तुलसी को गंगा किनारे तपस्या करते हुए भगवान गणेश नजर आए. तप के दौरान वे रत्नों से जड़े हुए सिंहासन पर विराजमान थे. साथ ही, उनके सभी अंगों पर चंदन लगा हुआ था और गले में उनके स्वर्ण-मणि रत्नों की माला पड़ी हुई थी. वहीं, कमर पर रेशम का पीताम्बर लिपटा देखकर माता तुलसी ने गणेश जी से विवाह का मन बना लिया.
और खुद के मन पर काबू नहीं कर सकी और भगवान गणेश के पास जाकर गणेश जी की तपस्या भंग कर दी. इसके बाद उन्होंने गणेश जी के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा. तपस्या भंग होते ही गणेश जी नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराते हुए खुद को ब्रह्माचारी बतलाया. गणेश जी की ये बात सुनकर माता तुलसी को गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि तुम ब्रह्माचारी नहीं रहोगे, बल्कि तुम्हारे दो विवाह होंगे.
माता तुलसी का ये श्राप सुनकर गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दे दिया और कहा कि उनका विवाह असुर के साथ होगा. गणेश जी का श्राप सुनते ही उन्होंने गणेश जी से माफी मांगी. इस पर श्री गणेश ने कहा तुम भगवान विष्णु और कृष्ण की प्रिय रहोगी और कलयुग में जगत को जीवन और मोक्ष देने वाली मानी जाओगी. इतना ही नहीं, सभी देवी-देवताओं के भोग में भी तुम्हें महत्त्व दिया जाएगा. लेकिन मेरी पूजा में तुलसी अर्पित करना अशुभ माना जाएगा. उसी दिन से भगवान गणेश की पूजा में तुलसी अर्पित नहीं की जाती. Budhwar Mantra: बुधवार के दिन गणेश जी के इन मंत्रों के जाप से दूर होंगे सारे संकट, गणपति दूर करेंगे सारे विघ्न
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