Wednesday Ganesh puja, Ketu upay: सनातन धर्म में गणपति को बुद्धि और रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है. बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए बहुत महत्व रखता है. गजानन को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है इनकी उपासना से ग्रहों से अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. मान्यता है कि बुधवार को गणपति की पूजा से पाप ग्रह केतु भी शुभ फल देने लगता है. 21 सितंबर 2022 को बुधवार है और इसी दिन पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी, बुधादित्य और पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इस संयोग में केतु और बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों से पीड़ित लोगों को भगवान गणेश की पूजा करने से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.


केतु ग्रह के शांति के उपाय



  • बुधवार के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद गौरी पुत्र गणेश की विधिवत पूजा करें और इसमें 11 या 21 दूर्वा की गांठे गजानन को अर्पित करें. इससे केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं.

  • केतु को जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का कारक माना गया है. केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए बुधवार को गणेश द्वादश नाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.

  • केतु दशा चल रही है तो बुधवार के दिन हरे मूंग, काला सफेद कंबल, धन का दान करना चाहिए. साथ ही इस दिन गणपति मंदिर में यथासंभव दान ता करें. इससे केतु शांत होता है.


गणेश जी की आराधना से क्यों शांत होते हैं राहु-केतु


धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेश जी का शरीर गज और मनुष्य के मिलाप से बना है. इसी प्रकार राहु-केतु की स्थिति में भी यही स्थिति विपरीत अवस्था में है. गजानन दो शरीर और राहु-केतु एक शरीर के दो हिस्से हैं. यही वजह है कि राहु-केतु गणपति जी की पूजा से संतुष्ट होते हैं.


केत के अशुभ प्रभाव



  • केतु के अशुभ होने पर जातक मानसिक रूप से परेशान रहता है

  • पढ़ाई में मन न लगना, लक्ष्यहीन होकर भटकना भी केतु के दुष्प्रभाव का कारण है.

  • केतु की अशुभता के कारण व्यक्ति गलत कार्यों के जाल में फंस जाता है, उसे कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं.


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