Weekly Vrat Tyohar 2023 (10-16 April): 10-16 अप्रैल में मेष संक्रांति, बैसाखी, और वरुथिनी एकादशी से लेकर पड़ेंगे कई व्रत-त्योहार, यहां देखें
Weekly Vrat Tyohar 2023 (10-16 April): 10 से 16 अप्रैल में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ेंगे. साथ ही इसी हफ्ते में खरमास भी समाप्त हो जाएगा. जानें अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पड़ेन वाले व्रत-त्योहार.
Weekly Vrat Tyohar 2023 (10-16 April): अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह की शुरुआत पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि से हुई है. 10 से 16 अप्रैल यानी अप्रैल का दूसरा हफ्ता कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहारो से भरा है. इस सप्ताह में कालाष्टमी, बैसाखी, मेष संक्रांति और वरुथिनी एकादशी जैसे कई व्रत-त्योहार पड़ेंगे और इसी हफ्ते खरमास भी खत्म हो रहे हैं. साथ ही इस अप्रैल में ही बंगाली नववर्ष की भी शुरुआत होगी. जानें अप्रैल के दूसरे हफ्ते पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में.
- 13 अप्रैल 2023: गुरुवार 13 अप्रैल के दिन कालाष्टमी और मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार यह दिन वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी. इस दिन कालाष्टमी पर भैरव बाबा की पूजा की जाएगी. भगवान काल भैरव की पूजा से भक्तों से सभी कष्ट दूर होते हैं. वहीं मासिक दुर्गाष्टमी पर व्रत रखकर मां भगवती की पूजा-अर्चना की जाएगी.
- 14 अप्रैल 2023: शुक्रवार 14 अप्रैल का दिन व्रत-त्योहारों के लिए बहुत ही खास रहने वाला है. इस दिन नवग्रहों के राजा सूर्य मेष राशि में गोचर करेंगे. इसलिए इस दिन मेष संक्रांति मनाई जाएगी. सूर्य के गोचर को ज्योतिष में बहुत खास माना जाता है और इसका प्रभाव सभी राशियों पर भी पड़ता है. साथ ही इसी दिन बैसाखी भी मनाई जाएगी, जोकि सिख धर्म का महत्वपूर्ण पर्व होता है. ज्योतिष के अनुसार, इसी दिन खरमास की भी समाप्ति होगी. खरमास के खत्म होते ही सभी मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाएगी.
- 15 अप्रैल 2023: शनिवार 15 अप्रैल का दिन बंगाली समुदाय के लोगों के लिए खास होगा. इस दिन से बंगाली समुदाय के लोगों के नए साल की शुरुआत होती है, जिसे पोइला बोइशाख कहा जाता है. इस अवसर पर सभी एक दूसरे को शुभो नोबो बोरसो (नए साल की शुभकामनाएं) कहकर बंगाली नववर्ष की बधाई देते हैं.
- 16 अप्रैल 2023: रविवार 16 अप्रैल को वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना की जाएगी. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के व्रत और पूजन से व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से उसके सभी दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं.
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