Astrology: साल 2025 (New Year 2025) आने वाला है. नया साल जीवन में सफलता दिलाएगा या नहीं, जानने के लिए उत्सुक हैं. ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत सुख-दुख, सफलता-असफलता, अमीरी-गरीबी को भाग्य से जोड़कर देखा जाता है. आपने ऐसे लोग देखे होंगे जो जीवन भर संघर्ष करने के बावजूद जिंदगी में वह सब चीजें हासिल नहीं कर पाते, जिनके लिए वे योग्य होते हैं. वहीं ऐसे भी लोग देखे होंगे, जो कम संघर्ष के बावजूद जीवन में नेम एंड फेम हासिल करते हैं. इन सब के पीछे ग्रहों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है. जन्मकुंडली (Kundli) में भाग्य स्थान यानी नवम भाव (9th House) में बैठे ग्रह या जो ग्रह इस घर को देखते है, उसके अनुसार भाग्योदय वर्ष तय किया जाता है.  


जैसे कि गुरू नवम भाव में हो या यहां इनकी दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है और धन-संपत्ति के साथ ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है. शुक्र का भी नवम भाव में होना या इनकी दृष्टि होना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 25वें वर्ष में होता है. इनके पास धन-संपत्ति भरपूर होती है.  


अगर नवम भाव में सूर्य बैठे हों या भाग्य भाव को देख रहे हो तो 22 साल में भाग्योदय होता है. ऐसे व्यक्ति राजनीति में बढ़चढ़ कर भाग लेते है और इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है. चन्द्रमा की दृष्टि नवम भाव पर हो या विराजित हो तो उनका भाग्योदय 16 से 24 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसे व्यक्ति जन्म स्थान से दूर जाकर ज्यादा तरक्की करते हैं.


मंगल नवम भाव में होने या इनकी दृष्टि होने पर 28 वर्ष की उम्र में भाग्योदय होता है. ऐसे लोग रियल एस्टेट संबंधित कार्यों में अच्छी तरक्की पाते है. लेकिन कई बार लालच में आकर गलत तरीका भी अपना लेते हैं ऐसे लोग. बुध के नवम भाव में होने पर व्यक्ति का 32 में साल में भाग्योदय होता है. ऐसे लोग बुद्धिमान (intelligent), अच्छे लेखक (good writer), ज्योतिष (astrology) होते है.  


भाग्य स्थान यानि नवम भाव में शनि होने से व्यक्ति को सफलता धीमी गति से मिलती है. ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 36वें वर्ष में होता है. राहु-केतु नवम भाव बैठे हो तो 42 साल में भाग्योदय होता है. किसी कुंडली में शनि देव या बृहस्पति वक्री होकर भाग्य नवम भाव में उपस्थित हो तो ये ग्रह अपनी दशा के दौरान भाग्योदय करते हुए शुभ फल के योग बनाते है. यदि किसी कुंडली में ज्यादातर ग्रह तीसरे या दसवें भाव में हो तो, ऐसे लोगों को बहुत जल्दी भाग्य का साथ प्राप्त होता है. यदि बृहस्पति मेष राशि में, मंगल अपनी उच्च राशि मकर में और शुभ ग्रह शुक्र नवम भाव में हो तो, जीवन में सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती है.


किसी कुंडली में सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में यानी चौथे भाव में हो, शुक्र वृश्चिक राशि में यानी 8जी हाउस में हो और मंगल कुंभ राशि यानी एकादश भाव में हो तो भले ही कोई भी लग्न हो, लेकिन जातक अपने जीवन में हर दिशा व क्षेत्र में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है. इसके अलावा हर महादशा में इन ग्रहों के प्रत्यंतर में शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यदि शुभ स्थिति में हो तो शुभता बढ़ेगी, अशुभ होने पर उनके उपाय करें.  भाग्योदय को मजबूत करने के लिए नवम भाव में कौन सा ग्रह बैठा है, फिर उस ग्रह की मजबूती के लिए आपको उपाय करने चाहिए.


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