Mantra Jaap: मंत्र उच्चारण के बिना पूजा अधूरी ही है, मंत्रों को बहुत महत्व दिया जाता है. शास्त्रों और धर्म के अनुसार मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. कोई भी मंत्र उच्चारण यदि सही ढंग और सही तरीके से किया जाए तो उसका प्रभाव पूरे ब्रह्मांड में सकारात्मक ही पड़ता है, मंत्र उच्चारण अपने आस-पास सकारात्मक प्रभाव का संचार करता है. माना जाता है कि हर एक मंत्र से अलग-अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है. मंत्रों की शक्ति से व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है. मंत्र के जाप से मानसिक शांति भी मिलती है. हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य बिना मंत्रों के नहीं किया जाता.
अधिकतर लोग पूजा के समय गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का लगभग नित्य जाप करते हैं. कोई भी मंत्र घर या मंदिर कहीं भी, यदि सच्ची श्रद्धा के साथ किया जाए, तो यह विशेष फलदायी होता है. और यदि वह मंत्र जाप पूरे तरीके से किया जाए तो श्रद्धा और भी बढ़ जाती है. मंत्र का जाप करने के लिए माला का प्रयोग किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है. मूलतः माला का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि मंत्रो की संख्या में जप करते समय कोई गलती न हो जाए.
एक माला में लगभग 108 दाने होते हैं. सामान्यतः माला के दानों को मनका कहा जाता है. अलग-अलग मंत्र के जाप के लिए माला भी अलग-अलग प्रयोग की जाती है.
मंत्र जप के नियम -
-मंत्र जाप और माला संबंधी कुछ विशेष नियम होते हैं. अतः मंत्र जाप करते समय कुछ विशेष बातों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है.
-आप जिस स्थान पर मंत्र कर रहे हो, वह स्थान साफ-सुथरा होना चाहिए, जहां आप शुद्ध आसन बिछाकर जाप करें.
-मंत्र जाप करते समय मंत्र जाप करने वाले के मुद्रा पद्मासन या सुखासन में होनी चाहिए.
-सर्वप्रथम जिस माला से जप करना चाहते हैं उसे गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए.
-कोशिश करें जाप शुद्ध उच्चारित और सही संख्या में किया जाए, क्योंकि जाप हमेशा एक निश्चित संख्या में ही किया जाता है.
-जाप करते समय पूर्व दिशा की तरफ अपना मुख रखें. माला से जाप हमेशा दायें हाथ से करें. यह भी ध्यान रखें कि माला पर आपके हाथ के नाखून स्पर्श न करें.
-मंत्र जाप आप रुद्राक्ष, स्फटिक, हल्दी, चंदन या तुलसी किसी भी माला से कर सकते हैं.
-मंत्र जाप एकाग्रचित मन से करना अधिक फलदायी और संतुष्टि प्रदान करने वाला होता है. एकाग्रता बनाए रखने के लिए जाप करते समय भगवान की प्रतिमा के समक्ष बैठें.
-माला जाप करते समय इस बात की सावधानी रखनी होती है कि जहां माला समाप्त हो वहीं से वापस फिर से गिना जाता है. इसी तरह ये क्रम चलता रहता है जहां माला समाप्त होती है वहां एक पुष्प की भांति गुहा होता है उसे सुमेरु कहते हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि जब समुद्र मंथन में सुमेरु पर्वत मथानी के रूप में थे. उनके एक तरफ देवता और दूसरी तरफ असुर थे. मान्यता यह है कि अगर सुमेरु को लांघते हैं तो आप असुर के तरफ चले जाएंगे. असुर नकारात्मक ऊर्जा युक्त हैं इसलिए सुमेरु को लांघा नही जाता है. वहां पहुंच कर वापस हो जाया करता है. इसका उल्लंघन करने से जाप का फल नहीं मिलता है.
-जाप खत्म होने के बाद माला को उसके स्थान पर रख दें
-माला के हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए. माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए, दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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