Halahal Vish: त्रिदेव में भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, शिव ही एकमात्र परमेश्वर हैं, जोकि ब्रह्मांड के हर कण में समाए हुए हैं. वह तीनों लोकों के स्वामी कहलाते हैं. शिव (Shiv ji) को सर्व शक्तिशाली देवता माना जाता है.


यही वजह है कि जब समुद्र मंथन (Samudra manthan) से हलाहल विष (Halahal vish) निकला तो एकमात्र शिव ही ऐसे देवता थे जिनमें इसका पान करने की शक्ति थी. अगर भोलेनाथ ऐसा नहीं करते तो सृष्टि का नाश हो जाता है. जानें कितना खरतनाक था हलाहल विष ? जब शिव ने इसे पीया तो देवता क्यों हुए भयभीत ?


कितना घातक था हलाहल विष ? (Halahal Poision)


समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे, इस दौरान हलाहल विष भी निकला था. कहा जाता है कि हलाहल विष की तुलना रूद्र के तीसरे नेत्र की ज्वाला के अंश से की जाती है. ये इतना शक्तिशाली था कि इसके केवल स्पर्श मात्र से कोई भी भस्म हो सकता था. 


हलाहल विष इतना खतरनाक था कि इसकी तीव्रता स्वयं अमृत की शक्ति को भी खत्म कर सकने में सक्षम थी. विषैले से विषैले विषधर और नाग उसके हलाहल विष के ताप को सह ना सके और मृत्यु को प्राप्त हुए.


शिव जी ने ही क्यों पिया हलाहल विष


जब समुद्र के गर्भ से हलाहल विष निकलता तो देवता, दानव यहां तक की मृत्यु के देवता यमराज और वासुकी नाग (Vasuki Nag) भी उसकी शक्ति देख आश्चर्य चकित रह गए. इस विष को कहीं फेंका नहीं जा सकता था क्योंकि इसकी एक बूंद भी पृथ्वी पर पड़ती तो सृष्टि का विनाश हो जाताहै.


देव और दानव में हलाहल विष को ग्रहण करने की क्षमता नहीं थी, केवल महादेव ही एकमात्र इसका विकल्प थे.  ब्रह्मदेव ने महादेव का आह्वान किया. सृष्टि का इस प्रकार विनाश होते देख, महादेव ने सारा हलाहल अपनी अंजुली में भर कर पी लिया.


जब शिव ने इसे पीया तो देवता क्यों हुए भयभीत ?


एक पल में ही संपूर्ण विष को मंद- मंद मुस्काते हुए अपने कंठ में उतार लिया. जब शिव जी ने हलाहल विष पिया तो उनके पूरे शरीर में जलन होने लगी, भोलेनाथ की व्याकुलता बढ़ रही थी. वह असहज होने लगे. ये देख सभी देवता भयभीत हो गए.


ये देख माता पार्वती ने महादेव के कंठ पर फौरन हाथ रख दिया और उस विष को नीचे उतरने से रोक लिया. भीषण विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ (Neelkanth) कहलाए. भोलेनाथ के शरीर के ताप को कम करने के लिए उनपर गंगाजल, धतूरा, बेलपत्र अर्पित किया गया, तब जाकर उनकी व्याकुलता शांत हुई.


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