Laxmi Narayan Yog: लक्ष्मी नारायण योग कुंडली में कैसे बनता है, क्या ये वाकई में व्यक्ति को बनाता है धनवान
Laxmi Narayan Yog: कुंडली (Horoscope) में लक्ष्मी नाराय़ण योग का बनना बहुत ही शुभ (Shubh Yog) माना जाता है. आइये जानते हैं ये कब और कैसा बनता है और इससे व्यक्ति को क्या-क्या लाभ होता है.
Laxmi Narayan Yog: ज्योतिष शास्त्र (Jyostish Shastra) के अनुसार कुंडली में कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं. बात करें शुभ योगों की तो पंच महापुरुष योग के साथ ही ग्रह-नक्षत्रों के योग और युति के बनने से कई योग का निर्माण होता है. जैसे- बुधादित्य योग (Budhaditya Rajyog), सुकर्मा योग (Sukarma Yog), गजकेसरी योग (Gaj Kesari Yog), सुनफा योग (Sunfa Yoga) और शश योग. इन्हीं में एक है लक्ष्मी नारायण योग.
किसी जातक की कुंडली (Kundli) में लक्ष्मी नारायण योग का होना बहुत ही शुभ होता है. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार जब किसी जातक की कुंडली में यह योग बनता है तो उसे अचानक धनलाभ (Money) होता है और जीवन सुख-समृद्धि से संपन्न हो जाता है. इसके साथ ही इस योग के प्रभाव से व्यक्ति की बुद्धि और प्रतिभा में भी प्रखरता आती है.
कुंडली में कैसे बनता है लक्ष्मी नारायण योग
जब किसी की जन्म कुंडली के किसी भाव या फिर राशि (Zodiac) में बुध और शुक्र ग्रह एक साथ विराजित होते हैं जब यह योग बनता है. यानी बुध और शुक्र की युति (Budh-Shukra Yuti) से लक्ष्मी नारायण योग बनता है. वहीं जब इस युति पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ती है तब इसकी प्रबलता और अधिक बढ़ जाती है, जिससे यह योग जातक के लिए अधिक फलदायी हो जाता है.
लेकिन यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि दोनों ग्रह या एक ग्रह भी अस्त नहीं होना चाहिए. साथ ही ग्रह नीच अवस्था में भी नहीं होने चाहिए. ऐसा होने पर नीच भंग योग होगा. लक्ष्मी नारायण योग तभी फलदायी साबित होगा, जब दोनों ग्रह (बुध और शुक्र) का अंश अच्छा होगा.
लक्ष्मी नारायण योग क्या सच में व्यक्ति को धनवान बनाता है?
- लक्ष्मी नारायण योग बुध और शुक्र की युति से बनता है. बुध ग्रह को बुद्धि और वाणिज्य कारक माना जाता है. वहीं शुक्र आकर्षण, धन, सौभाग्य और विलासिता के कारक माने जाते हैं.
- इसलिए जब बुध और शुक्र ग्रह की युति होती है तो व्यक्ति को खूब लाभ मिलता है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को अचानक धनलाभ होता है.
- लक्ष्मी नारायण योग के प्रभाव से व्यक्ति की बुद्धि और प्रतिभा प्रखर होती है और उसे कार्य में सफलता मिलती है.
- कुंडली में जब लक्ष्मी नायारण योग बनता है तो व्यक्ति को सफलता (Success) के लिए अधिक संघर्ष की आवश्यकता नहीं पड़ती.
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