Ram Mandir Bhoomi Pujan: भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अभिजीत मुहूर्त को अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी रानी कौशल्या के गर्भ से भगवान श्री विष्णु श्रीराम रूप में अवतरित हुए. भगवान श्रीराम का अवतरण त्रेतायुग में हुआ था. भगवान राम विष्णु के 7वें अवतार हैं. अर्थात भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और अधर्म का समूल नाश करने के लिए भगवान राम के रूप में मानव रूप में पृथ्वी पर अवतार लिये.


क्या खाते थे भगवान श्रीराम?


जिस समय भगवान का जन्म हुआ था तो उस समय पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा हुआ था. ऋषि – मुनियों की तपस्याएँ राक्षसों के द्वारा भंग की जा रही थी. चारों तरफ अधर्म का बोलबाला था. पृथ्वी पर से इसी अधर्म के समूल नाश और धर्म की संस्थापना के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में पृथ्वी पर मानव रूप में अवतार लिया.


चूंकि श्रीराम ने रघुवंश कुल के राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था. इस लिए स्वाभविक रूप से उनके रहन-सहन और खानपान भी राज घराने की तरह थे. उस समय बच्चों की शिक्षा-दीक्षा गुरु आश्रम {ऋषियों के आश्रम में} में होती थी. ऋषि और मुनि शाकाहारी हुआ करते थे. इसके लिए उनके आश्रम में उनके शिष्य भी आश्रम के नियमों का पालन करते थे. ऋषि मुनियों का आश्रम जंगलों में होते थे. आश्रम के गुरु और शिष्यों द्वारा जंगलों में उपलब्ध कंदमूल-फल आदि भोजन के रूप में लिए जाते थे. भगवान राम भी इन्हीं कंदमूल –फलादि को भोजन के रूप में लेते थे.


खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे राम


भगवान राम के भक्त उनको पूड़ी-हलवा, सफ़ेद मिठाई, फल आदि चढाते है और स्वयं सात्विक भोजन  करते हैं. इस आधार पर भी कहा जा सकता है कि भगवान राम को जो खाद्य पसंद था उन्हें वही चढ़ाया जाता था. हालांकि कि कतिपय लोगों का कहना है कि भगवान राम मांसाहारी थे और वे वाल्मीकि रामायण का उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं परन्तु. उनके इस उदाहरणों में यह कहीं नहीं कहा गया है कि भगवान राम मांस का भक्षण किया था. तत्कालीन समय में राक्षसों द्वारा मांस का भक्षण और मदिरा का सेवन किया जाता था. इन्हीं अधार्मिक प्रवृतियों से युक्त राक्षसों का नाश कर धर्म की स्थापना करने के अवतरित भगवान राम कैसे इन्हीं राक्षसी प्रवृतियों को से युक्त हो सकते है? अतः निसंदेह भगवान श्रीराम शुद्ध शाकाहारी थे. वे कंद-मूल, फल फूल, खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे.