हिंदू धर्म में यज्ञ का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है. यज्ञ एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है जिसके जरिए मनुष्य न सिर्फ भौतिक सुख बल्कि आध्यात्मिक संपदा भी प्राप्त कर सकता है. हिंदू धर्म ग्रंथों, संस्कृत महाकाव्यों में यज्ञ का विवरण बार-बार आता है.


यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म. श्रेष्ठ कर्म. सतकर्म. वेदसम्मत कर्म. सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्‍वान से जीवन की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है. यज्ञ को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है. यज्ञों के माध्यम से अनेक ऋद्धियां-सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं.


यज्ञ के साथ ही हवन भी हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व रखता है. अधिकतर लोग हवन और यज्ञ के बीच के अंतर के बारे में जानते हैं. आज हम आपको बताते हैं दोनों के बीच का अंतर-




  • दरअसल हवन यज्ञ का छोटा रूप है. पूजा के बाद और मंत्र जाप के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति को यज्ञ कहते हैं.

  • किसी विशेष उद्देश के लिए यज्ञ किया जाता है. यज्ञ में देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक, दक्षिणा अनिवार्य रूप से होते हैं.

  • वहीं हवन में हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया होती है.  हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ होता है, जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती हैं.

  • हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है. शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है.



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