क्या है अयोध्या का पौराणिक महत्व, किसने की थी इस नगर की स्थापना
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अयोध्या का महत्व बहुत अधिक है. इस सप्त पुरियों में से एक माना गया है.
दुनिया की नजरें एक बार फिर अयोध्या पर टिक गई हैं. अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर के लिए कल भूमि पूजन होगा. भूमि पूजन में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या भारत के प्राचीन नगरों में से एक हैं. हिंदू धार्मिक मान्यताओ के अनुसार अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था. अयोध्या नगर सरयू नदी के किनारे पर बसा हुआ है.
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार यह नगर सप्त पुरियों में से एक हैं. गौरतलब है कि अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अंवतिका और द्वारका को सप्त पुरियों में शामिल माना जाता है. ये सभी पवित्र नगर माने जाते हैं. धार्मिक विश्वास है कि अयोध्या विष्णु के सुदर्शन चक्र पर टिकी है.
रामायण के अनुसार अयोध्या नगर की स्थापना मनु द्वारा की गई थी. धार्मिक मान्यता है कि मनु ब्रह्मा के पौत्र कश्यप की संतान थे. मनु के 10 पुत्र हुए- इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे.
प्रचलित विश्वास है कि एक मनु ब्रह्रााजी के पास अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात को लेकर पहुंचे. ब्रह्रााजी जी मनु को भगवान विष्णु के पास भेज दिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया. विष्णुजी ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को भेज दिया. विष्णु जी ने महर्षि वशिष्ठ को भी भेजा. वशिष्ठ मुनि ने सरयू नदी के किनारे लीला भूमि का चुनाव किया. भूमि चयन के बाद विश्वकर्मा ने नगर के निर्माण की प्रकिया आरंभ की.
बता दें रामायण में अयोध्या का जिक्र कौशल जनपद के रूप में भी आता है. अयोध्या का एक नाम साकेत भी है. अयोध्या के अलावा कपिलवस्तु, वैशाली, मिथिला और कौशल में इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने राजपाठ चलाया.
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