Vastu Tips: सपनों के एक घर की इच्छा सभी के मन में रहती है. यदि घर में सुख-शांति, समृद्धि, धन-वैभव व ख़ुशहाली न हो तो वह घर नहीं मकान हो जाता है. जहां जीवन में प्रसन्नता नहीं, उदासी का घेराव रहता है. अगर आप अपने घर में प्रसन्नता प्रस्फुटित करना चाहते है तो वास्तु से संबंधित कुछ बातो का घर बनवाते समय या खरीदते समय विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है, ताकि नकारात्मक ऊर्जा से बचा सकें. 


घर के मुख्यद्वार सही जगह पर हो इसका विशेष महत्व है. यदि घर के प्रवेश द्वार की स्थिति वास्तु सम्मत होती है तो उसमें रहने वालों का स्वास्थ्य, समृद्धि बनी रहती है और अगर यह किसी कारण से भी गलत स्थान पर हो तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. अतः आज हम जानेंगे घर के मुख्य द्वार के विषय, यह कैसा होना चाहिए, मुख्य द्वार का रखरखाव और वास्तु के कुछ टिप्स के बारे में जो निम्न है, इन टिप्स को ध्यान में रखकर आप अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हैं.



  • गृह के मुख्य द्वार को शास्त्रों में गृहमुख माना गया है. यह परिवार व गृहस्वामी की शालीनता, समृद्धि व प्रसन्नता को दर्शाता है. इसलिए मुख्य द्वार को हमेशा अन्य द्वारों की अपेक्षा प्रधान व सुसज्जित रखने की प्रथा चली आ रही है. 

  • घर के मुख्य द्वार को कलश, नारियल व पुष्प, अशोक, केले के पत्र से या स्वास्तिक आदि से सुसज्जित रखना चाहिए. प्रवेश द्वार अत्यंत सुशोभित होना चाहिए. इससे प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होती है.

  • मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला होना चाहिए. इसे दहलीज भी कहते हैं. दहलीज होना जरूरी होता है क्योंकि दहलीज नकारात्मक हवाओं को रोकता है. 

  • मुख्य द्वार के सामने कुआं, चौराहा, तालाब, गटर, दूसरे के मकान का कोना या सीढ़ियां, बड़ा वृक्ष, स्तम्भ, बिजली के खंभे अच्छा नहीं होता. इससे वेध कहते हैं. 

  • पड़ोस के मंदिर की ध्वजा की छाया मुख्य द्वार में पड़ना अच्छा नहीं माना जाता.

  • घर का प्रवेश द्वार अन्य दरवाज़ों से ऊंचा और बड़ा होना शुभ फलदायी होता है.  

  • घर के मुख्य द्वार में तोरण लगाना शुभ होता है, माना जाता है कि इसे लगाने से देवी-देवता सारे कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पन्न करते हुए मांगल्य प्रदान करते हैं.

  • अंदर की ओर दरवाजा खुलना अच्छा माना जाता है, दरवाजा यदि बाहर की ओर खुलता है तो माना जाता है कि हर कार्य में बाधा व धीरे-धीरे धनहानि होकर धनाभाव शुरू हो जाता है.

  • घर का मुख्य द्वार नैऋत्य यानी दक्षिण व पश्चिम में कतई नहीं होना चाहिए. यदि संभव हो तो मुख्य द्वार पूर्व अथवा उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए, यह शुभ फलदायी होता है.

  • यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो तो उस घर में रहने वालों के पास रुपए-पैसों की कमी नहीं रहती है. सफलता हमेशा इनके क़दम चूमती है.

  • पूर्व दिशा में मुख्य द्वार हो तो नाम, यश, सुख, क़ामयाबी तो मिलती ही है, साथ ही वंशवृद्धि भी होती है.

  • अगर मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में हो तो यहां रहने वालों के पास न तो धन-दौलत रहती है और न ही स्वास्थ्य.

  • प्रवेश द्वार स्वतः खुलने या बन्द होने वाला नहीं होना चाहिए.

  • अक्सर घरों का मुख्य द्वार खुलने और बंद होने पर आवाज करने लगता है. कई दरवाजे लटक जाते हैं और धरती से रगड़ने लगते हैं. घर का दरवाजा लटक गया हो तो उसे तुरंत ठीक कराना चाहिए ऐसा लंबे समय तक बने रहने से आपसी संबंधों में खटास आने लगेगी. वहीं बीमारी घर का पीछा नहीं छोड़ेगी. पूरे महीने का बजट जब आप देखेंगे तो दवाओं में अच्छा खासा खर्च होगा. 

  • घर के मुख्य द्वार का सीधा संबंध राहु से होता है. इसलिए घर के दरवाजे को ठीक रखें, और पेंट आदि करते हुए सुसज्जित भी रखें.

  • वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार हमेशा दो पल्ले का होना चाहिए.

  • मुख्य द्वार के सामने डस्टबिन यानी कचरे का डिब्बा न रखें. साथ ही प्रवेश द्वार के आसपास सफ़ाई का भी पूरा ध्यान रखें.

  • मुख्य द्वार के पास तुलसी का पौधा रखना चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती हैं.

  • दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार बनवाना अशुभ फल देने वाला होता है.

  • घर का कोई भी द्वार धरातल से नीचा नहीं होना चाहिए. इससे घरों में रहने वालों की उन्नति में बाधा आती है.


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