Pradosh Vrat 2021: 4 सितंबर को है भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान शिव की ये कथा पाठ करने से पूर्ण होगी हर मनोकामना
हिंदू धर्म के अनुसार हर माह त्रियोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. भाद्रपद महीने में त्रियोदशी 4 सितंबर को पड़ रही है. इस दिन शिव भक्त प्रदोष व्रत रखकर भगवान की उपासना करते हैं.
![Pradosh Vrat 2021: 4 सितंबर को है भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान शिव की ये कथा पाठ करने से पूर्ण होगी हर मनोकामना when is bhadrapad month first pradosh vrat know the katha of lord shiva Pradosh Vrat 2021: 4 सितंबर को है भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान शिव की ये कथा पाठ करने से पूर्ण होगी हर मनोकामना](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/08/30/78aa40c197631067b745a5d3c7235ddf_original.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Pradosh Vrat 2021 Date: हिंदू धर्म के अनुसार हर माह त्रियोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. भाद्रपद महीने में त्रियोदशी 4 सितंबर को पड़ रही है. इस दिन शिव भक्त प्रदोष व्रत रखकर भगवान की उपासना करते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. 4 सितंबर को शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन प्रदोष काल में विधिवत्त तरीके से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है, सब संकट दूर हो जाते हैं और मान-सम्मान बढ़ता है.
प्रदोष व्रत तिथि (pradosh vrat tithi)
प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना प्रदोष काल में ही की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कलयुग में भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला ये खास व्रतों में से एक है. कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा का शुभ फल प्राप्त करने के लिए प्रदोष काल में ही पूजा करनी चाहिए. त्रियोदशी तिथि का आरंभ- 4 सितंबर, 2021, शनिवार, सुबह 8:24 बजे से
तिथि का समापन- 5 सितंबर रविवार, 8:21 बजे होगा. प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है. इस काल में ही इस व्रत की पूजा की जानी चाहिए. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे और 16 मिनट का है.
प्रदोष व्रत कथा (pradosh vrat katha)
त्रियोदशी को प्रदोष कहने के पीछे एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार पत्नी के शाप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था. इससे बाहर निकलने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें भगवान शिव की तपस्या को कहा. चंद्रदेव ने देवी-देवताओं की सलाह अनुसार भगवान की तपस्या शुरु कर दी. भगवान शिव चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न हो गए और उन्हें रोग-दोष से मुक्त कर दिया. इतना ही नहीं, उन्हें त्रियोदशी के दिन पुनः जीवन प्रदान किया. तब से इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं.
Diwali 2021: दिवाली पर मां लक्ष्मी की मूर्ति खरीदने से पहले इन बातों का रखेंगे ध्यान, तो नहीं होगी धन की कमी
Janmashtami 2021: धन-संपत्ति, संतान, नौकरी पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन पढ़ें ये पाठ, मिलेंगे 10 लाभ
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)