Guru Pradosh Vrat in July 2022: जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जिसका चंद्रमा कमजोर होता है. उसे प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) रखने पर लाभ प्राप्त होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) करने से मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास की वृद्धि होती है. नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है. जिसके कारण वह प्रगति और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है.


प्रदोष व्रत की तिथि और मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat Shubh Muhurt)



  • प्रदोष का व्रत आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन रखा जाएगा.

  • प्रदोष व्रत 7 जुलाई दिन गुरुवार को किया जाएगा.


गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)


एक बार की बात है असुर राज वृत्रासुर की सेना ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. भयंकर युद्ध हुआ जिसमें असुर सेना हार गई. जिसकी सूचना वृत्रासुर को हुई तो वह क्रोधित हो गया. और स्वयं युद्ध का निर्णय लिया वह बहुत मायावी था. उसने विशालकाय रूप धारण किया. इसे देखकर सभी देवी देवता डर गए. वे भागकर गुरुदेव बृहस्पति की शरण में गए.


गुरुदेव बृहस्पति ने देवताओं को यह जानकारी दी कि वृत्रासुर गंधमादन पर्वत पर बरसो की कठोर तपस्या के उपरांत शिव को प्रसन्न किया था. उस समय उसने माता पार्वती को भगवान शिव के बाएं बैठ देख उनका उपहास उड़ाया था. तब माता पार्वती ने क्रोधित होकर कहा कि दुष्ट तुमने उनका और उनके आराध्य भोलेनाथ का अपमान किया है. इस वजह से तुझे श्राप देती हूं कि तुम राक्षस बन कर आसमान से नीचे धरती पर गिर पड़ोगे. उस श्राप के कारण ही राजा चित्ररथ, वृत्रासुर बन गया.


देव गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र से कहा कि वह बचपन से ही भगवान शिव का परम भक्त है. ऐसे में सभी देव गुरु प्रदोष व्रत करें और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करें. देव गुरु के बताए गए व्रत विधि को ध्यान में रखकर इंद्रदेव ने गुरु प्रदोष व्रत को विधि विधान से किया. इस प्रकार जो लोग गुरु प्रदोष व्रत रखते हैं. भगवान शिव की पूजा करते हैं. वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं. शिव कृपा से शत्रुओं को परास्त करने में सफलता प्राप्त होती है.



 


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