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Mahabharat: राधा से श्रीकृष्ण का था अटूट प्रेम, दुखी होने पर लिया था ये बड़ा फैसला
Radha Ashtami 2020: महाभारत की कथा में श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का भी वर्णन आता है. श्रीकृष्ण राधा से अटूट प्रेम था. राधा अपने अंतिम समय में भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आ गई और अपनी अंतिम इच्छा प्रभु को बताई. अंतिम इच्छा को पूरी करने के बाद राधा ने प्राण त्याग दिए. श्रीकृष्ण राधा की मृत्यु से बहुत दुखी हुए. श्रीकृष्ण इस हद तक आहत हुए कि उन्होंने बहुत बड़ा फैसला कर लिया.
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Radha Sshtami Date 2020: राधाष्टमी का पर्व आने वाला है. 26 अगस्त 2020 को राधाष्टमी का पर्व है. ये पावन पर्व राधा को समर्पित है. भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम दुनिया में एक आर्दश प्रेम का सुंदर और अद्भूत उदाहरण माना जाता है. राधाष्टमी का पर्व जीवन में प्रेम के महत्व को बताने वाला पर्व है. राधा और कृष्ण का प्रेम सबसे पवित्र प्रेम माना गया है. आइए जानते हैं राधा और कृष्ण के प्रेम के बारे में.
राधा और बांसुरी से था श्रीकृष्ण को अटूट प्रेम भगवान श्रीकृष्ण के बारे में ये कहा जाता है कि वे राधा और बांसुरी से अटूट प्रेम करते थे. जब राधा का अंत समय आया तो भगवान श्रीकृष्ण राधा से मिलने आए. राधा अंत समय में बहुत कमजोर हो गईं, राधा की इस अवस्था को देख श्रीकृष्ण की आंखों में आंसू आ गए. श्रीकृष्ण को देख राधा की आंखों में चमक आ गई. दोनों एक दूसरे को काफी देर तक निहारते रहे और मथुरा में बिताए दिनों को याद करने लगे. राधा और कृष्ण पुरानी यादों में इस तरह से खो गए कि उन्हें समय का पता ही नहीं चला. जब काफी देर हो गई तो श्रीकृष्ण ने राधा से कुछ मांगने के लिए कहा. राधा ने कुछ मांगने से साफ इंकार कर दिया. राधा ने कहा कि प्रभु आपने इतना सबकुछ दिया है कि अब उन्हें किसी भी चीज की कोई इच्छा नहीं है. तब राधा ने कहा कि कृष्ण बस मुझे तुम अपनी मुरीली की धुन सुना दो.
श्रीकृष्ण ने राधा की इच्छा पूरी करने के बाद तोड़ दी बांसुरी राधा की इस इच्छा को पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने तुरंत बांसुरी निकाली और बजाना शुरू कर दिया. बांसुरी की धुन पर राधा आंख बंद कर मग्न हो गईं. श्रीकृष्ण बांसुरी की बजाते रहे. उधर राधा ने बांसुरी की धुन सुनते हुए अपने प्राण त्याग दिए. राधा की मृत्यु से भगवान श्रीकृष्ण को बहुत दुख हुआ. श्रीकृष्ण की आंखों से आंसु की धारा बह निकली. श्रीकृष्ण राधा को अपनी बांहो लेकर बहुत देर तक विलाप करते रहे. राधा के जाने का वियोग भगवान श्रीकृष्ण सहन नहीं कर सके और इसी वियोग में उन्होंने बांसुरी को तोड़ दिया और फिर कभी श्रीकृष्ण ने बांसुरी को अपने होठों से नहीं लगाया.
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