Sankashti Chaturthi 2020: कब है संकष्टी चतुर्थी? करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी की पूजा एक ही तिथि में की जाएगी, जानें चंद्रोदय का समय
Sankashti Chaturthi vrat 2020: 4 नवंबर 2020 को संकष्टी चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी की तिथि भगवान भगवान गणेश जी को समर्पित है. खास बात ये है कि इसी दिन करवा चौथ का पर्व भी है. इसलिए इस बार की संकष्टी चतुर्थी विशेष फल प्रदान करने वाली मानी गई है.
![Sankashti Chaturthi 2020: कब है संकष्टी चतुर्थी? करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी की पूजा एक ही तिथि में की जाएगी, जानें चंद्रोदय का समय When is Vakratunda Sankashti Chaturthi? Karva Chauth And Sankashti Chaturthi Will Be Worshiped On The Same Date Know The Moonrise Time Sankashti Chaturthi 2020: कब है संकष्टी चतुर्थी? करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी की पूजा एक ही तिथि में की जाएगी, जानें चंद्रोदय का समय](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/11/02211057/GANESH.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Vakratunda Sankashti Date Time: हिंदू पंचांग के अनुसार 4 नवंबर 2020 को संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गजानन की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. विशेष बात ये है कि इस दिन बुधवार है. सभी जानते हैं कि बुधवार का दिन भगवान गणेश जी का दिन कहलाता है. इसलिए इस दिन विशेष संयोग बन रहा है.
गणेश जी की पूजा को विशेष माना गया है. गणेश जी को बुद्धि और समृद्धि का दाता का माना गया है. इस बार की संकष्टी चतुर्थी कई मायनों में विशेष है. इस दिन करवा चौथ भी है. करवा चौथ पर शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है. गणेश जी शिव परिवार के ही एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं. इसलिए इस दिन गणेश जी की जाने वाली पूजा जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है.
गणेश पूजा से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव और माता पार्वती चातुर्मास चल रहे हैं. चातुर्मास में भगवान विष्णु जब पाताल लोक में विश्राम करने के लिए जाते हैं तो पृथ्वी की बागडोर भगवान शिव को सौंप जाते हैं. भगवान शिव चातुर्मास में माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करती हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का भी आर्शीवाद होता है.
विघ्नहर्ता कहलाते हैं प्रथम देव भगवान गणेश जी को सभी देवों में प्रथम देव होने का सम्मान प्राप्त है. इसलिए शुभ कार्य आरंभ करने से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा और स्तुति की जाती है. गणेश जी को बुद्धि का दाता माना गया है. जिन लोगों के जीवन में कोई कष्ट हैं उनके लिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विशेष परिणाम देने वाली मानी गई है, क्योंकि संकष्टी का अर्थ ही संकट को हरने वाली चतुर्थी है.
पूजा की विधि बुधवार के दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन सुबह स्नान करने बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. इस दिन पूजा में भगवान गणेश जी की प्रिय चीजों का अर्पण और भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा करनी चाहिए. तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है.
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 4 नवंबर को प्रात: 03 बजकर 24 मिनट चतुर्थी तिथि समाप्त: 5 नवंबर को प्रात: 05 बजकर 14 मिनट पर संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात्रि 8 बजकर 12 मिनट
Karva Chauth 2020: करवा चौथ का व्रत कैसे करते हैं, जानें नियम और कथा
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)