हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन स्वर और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मां सरस्वती को वाणी, बुद्धि, और ज्ञान की देवी कहा जाता है. जिस पर भी मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं उन्हें ये सभी वर देती हैं. जीवन में सफल बनने के लिए हमें वाणी पर नियंत्रण, तेज बुद्धी और ज्ञान की आवश्यकता होती है, ये हमें मां सरस्वती के आशीर्वाद से ही मिलता है. कई बार लोगों को बोलने में दिक्कत होती है या मानसिक रूप से वो कमजोर होते हैं ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिनपर मां सरस्वती की कपा नहीं होती है.


बसंतपंचमी के दिन मां सरस्वती की सच्चे मन से पूजा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. साल 2021 के शुरूआत से ही गृहों का शुभ योग ना बनने की वजह से अप्रैल तक मांगलिक काम नहीं हो सकते हैं लेकिन बसंत पंचमी के दिन दो उत्तम योग बन रहे हैं, जिसके चलते पूरे दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं. खासतौर पर अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग इस दिन को और भी खास बना रहा है. वहीं इस बार बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र में मनाई जा रही है. इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर सुबह सवेरे मां सरस्वती की अराधना करते हैं.


पूजा का समयः


16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी, जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी. वहीं इस दिन गंगा स्नान करने से ज्यादा लाभ मिलता है.


पूजा विधीः


मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्र अर्पित किये जाते हैं. फिर रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद रंग के फूल, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित किये जाते हैं. जिसके बाद पूजा के स्थान पर किताबों को रखते हैं और मां सरस्वती की वंदना करते हैं.


पूजा से जुड़े नियमः


स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी ये पूजा की जाती है. घर पर मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें, घर के सभी सदस्य पीले रंग के कपड़े पहने, बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें और इस दिन पीले चावल या पीले रंग का खाना बनायें.


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