हिंदू धर्म में किसी देव को सर्वप्रथम पूजनीय देव का दर्जा मिला है तो वो हैं भगवान गणेश(Ganesh Ji). जिनकी आराधना हर शुभ कार्य से पहले जरूर की जाती है. गणेश भगवान को ही समर्पित विनायक चतुर्थी(Vinayak Chaturthi) का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है जो इस बार 14 जून को है. कहते हैं इस व्रत को करने से सुख समृद्धि और यश प्राप्ति का वर भगवान से प्राप्त किया जा सकता है. चलिए बताते हैं विनायक चतुर्थी व्रत(Vinayak Chaturthi Vrat) का महत्व विस्तार से. 


भगवान गणपति होते हैं प्रसन्न
हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की आराधना के लिए ही समर्पित होती है. इसलिए अगर इस दिन भगवान के निमित्त व्रत किया जाए तो वो अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाही इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं. माना ये भी जाता है कि गणपति संकट को दूर करने वाले हैं इसलिए ये व्रत करने वाले के जीवन में कोई संकट नहीं आता. ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी तिथि 13 जून रात 9 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 14 जून को रात 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. 


विनायक चतुर्थी की व्रत विधि
अगर आप पहली बार व्रत करने जा रहे हैं तो इसकी पूजा विधि जानना बहुत ही जरूरी है. इस दिन विशेष रूप से लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए. फिर घर के मंदिर को साफ करें, गंगाजल छिड़के, गणेश  भगवान की मूर्ति रखे और दीपक जलाए. दीपक जलाने के बाद इस व्रत का संकल्प लें. पूजा के समय गणेश जी पर दूर्वा जरूर अर्पित करें. 


कृष्ण पक्ष में आएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत
जिस तरह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में विनायक चतुर्थी का व्रत होता है ठीक उसी तरह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इस दिन भी इसी तरह भगवान गणेश की आराधना की जाती है.  


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