हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हर साल कन्या संक्रांति को विश्वकर्मा पूजा होती है. माना जाता है कि इस दिन विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इस 16 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है.
विश्वकर्मा देव को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था. पौराणिक कथाओं में यह भी कहा गया है कि विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी.
विश्वकर्मा पूजा के दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह की मशीन की पूजा की जाती है. कलाकार, शिल्पकार और व्यापारियों के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण है.
पूजा की विधि
श्री विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी,रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि की व्यवस्था कर लें. पूजा के लिए फैक्ट्री, वर्कशॉप, दुकान आदि के स्वामी को स्नान करके सपत्नीक पूजा के आसन पर बैठना चाहिए.
आप जिन चीजों की पूजा करना चाहते हैं उन पर हल्दी और चावल लगाएं. इसके बाद कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं, इसके बाद पूजा करते वक्त मंत्रों का उच्चारण करें. पूजा करने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें.
पूजा में 'ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:', 'ॐ अनन्तम नम:', 'पृथिव्यै नम:' मंत्र का जप करना चाहिए. जप करते समय साथ में रुद्राक्ष की माला रखें.
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