Badi Devkali and Chhoti Devkali Puja Timing: अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के तहत सोमवार को गणेश जी की पूजा के साथ ही तीन दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान का भी शुभारम्भ हो गया. गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद बड़ी देवकाली और छोटी देवकाली की भी पूजा की गई. बड़ी देवकाली और छोटी देवकाली की पूजा  अयोध्या और बनारस के कुल 21 पंडितों ने मिलकर कराई है.


सीता माता की कुल देवी के रूप में पूजी जाती हैं छोटी देवकाली-  भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या के बीचों-बीच छोटी देवकाली का मंदिर स्थापित है. छोटी देवकाली का यह मंदिर सीता माता की कुल देवी के रूप में जाना जाता है. इस मंदिर में माता पार्वती सर्वमंगला महागौरी के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि माता सीता जब जनकपुर से अयोध्या विवाह के बाद आई थीं तो वे अपने साथ माता पार्वती की प्रतिमा लेकर आई थीं. वे माता पार्वती की इसी प्रतिमा की रोजाना पूजा करती थीं. अयोध्या के राजा दशरथ ने इस प्रतिमा को अयोध्या के सप्तसागर के ईशानकोण में स्थापित करवाकर माता पार्वती का भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था.




भगवान राम की कुल देवी के रूप में पूजी जाती हैं बड़ी देवकाली- देवी भागवत में बड़ी देवकाली का वर्णन किया गया है जिसमें बड़ी देवकाली को प्रभु श्रीराम की कुल देवी कहा गया है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस बड़ी देवकाली मंदिर का निर्माण प्रभु श्रीराम के पूर्वज महाराज रघु ने कराया था. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के जन्म के पश्चात् माता कौशल्या उन्हें सबसे पहले रघुवंशियों की कुलदेवी बड़ी देवकाली माता के दर्शन कराने के लिए पूरे परिवार के साथ आयी थीं. यहीं पर इसलिए प्रभु श्रीराम पालने में विराजमान हैं.


यहां पर एक साथ तीन महाशक्तियों का है संगम-  बड़ी देवकाली मंदिर के गर्भगृह में माता की मूर्ति स्थापित की गई है. इस मूर्ति में तीन महाशक्तियों- महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती का संगम है. मंदिर का गर्भगृह गोलाकार में बना हुआ है और इसकी छत पर गुंबद बना हुआ है.


यहां पूरी होती हैं सभी की मुरादें- ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपनी मुरादें लेकर यहां आता है उसकी सभी मुरादें माता पूरी करती हैं. ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम की कुल देवी बड़ी देवकाली जी के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है.