Narad Ji: जगत के पालनहार नारायण भक्त ऋषि मुनि नारद जी (Narad Ji) ब्रह्मा जी (Brahama Ji) के सात मानस पुत्रों में से एक है. महाभारत (Mahabharata) में नारद जी का विशेष महत्व बताया गया है.


हाथ में वीणा और मुख पर सदैव नारायण (Narayana) जी का नाम हमेशा रहता है. विष्णु जी (Vishnu Ji) की महिमा का बखान तीनों लोकों में नारायण-नारायण करते थे. नारद जी के मुख पर सदैव नारायण जी का नाम रहता है. हर लोक की खबर रखने वाले नारद जी को सृष्टि का पहला पत्रकार (Journalist) कहा जाता है.


नारद जी देवताओं के लिये समस्त प्रकार की जानकारी पहुंचाने का स्रोत थे. तीनों लोकों में भम्रण करने वाले नारद जी सदैव नारायण-नारायण का जप किया करते थे.


ब्रह्मा (Brahama Ji) पुत्र नारद जी (Narad Ji) का जन्म ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Month) में हुआ था, जो अनेक कलाओं और विद्याओं में निपुण थे. शास्त्रों में उन्हें विष्णु जी (Vishnu Ji) का अवतार माना गया है, जो अनेक कलाओं में ज्ञाता थे. 


नारद जी को क्या वरदान प्राप्त था?


नारद जी एक मात्र ऐसे ऋषि हैं जिन्हें देवर्षि कहा जाता है. नारायण भक्त देवर्षि नारायण को तीनों लोकों में कहीं भी किसी भी समय प्रकट होने का वदरान प्राप्त था. . 


इसीलिए उन्हें सृष्टि का पहला पत्रकार यानी संदेश वाहक भी कहा जाता है.देवर्षि नारद को समाचार के देवता भी कहा जाता है, क्योंकि वह हमेशा तीनो लोकों में भ्रमण कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे.


नारद मुनि किसी भी समय स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक तथा पाताललोक का भ्रमण कर सकते हैं. ब्रह्माण्ड का भ्रमण कर सूचना एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते थे. ज्यादातर उनकी सूचना वादविवाद को जन्म देती है, किन्तु यह वाद-विवाद ब्रह्माण्ड के हित के लिये होता है. 


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