Christmas पर सांता क्लॉज का पूरी दुनिया करती है इंतजार, जानिए इसके पीछे की कहानी
क्रिसमस पर सबसे अधिक इंतजार रहता है सांता क्लॉज का. सांता क्लॉज को लेकर कई किस्से कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं. लेकिन कैसे हुई सांता क्लॉज के क्रिसमस पर आने की शुरूआत आइए जानते हैं
नई दिल्ली: क्रिसमस का पर्व हो और सांता क्लॉज की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. सांता क्लॉज के बिना क्रिसमस की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. सांता क्लॉज का इंतजार पूरे साल बच्चे ही नहीं बड़े भी करते हैं. किस्से कहानियों और बचपन में आने वाले सपनों में सांता क्लॉज और उनके गिफ्ट भला कौन भूल सकता है.
सफेद दाढ़ी, लाल टोपी और कंधे पर बड़ा सा बैग सांता क्लॉज की पहचान है. सांता क्लॉज की ड्रेस बच्चों से लेकर बड़ों तक को खूब पसंद आती है. सांता की टोपी की तो पूरी दुनिया में धूम रहती है. क्रिसमस का पर्व जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है सांता क्लॉज की टोपी बाजारों में धूम मचाने लगी है.
संत से सांता बने सांता क्लॉज
सांता क्लॉज के बारे में माना जाता है कि वह एक संत थे. करीब डेढ़ हजार पहले साल एक संत हुए जिनका नाम निकोलस था. वे बेहद दयालु थे. बेहद विनम्र और हसमुख स्वभाव के यह संत ही आगे चलकर सांता क्लॉज के जन्मदाता माने गए. सांता का आज जो स्वरूप दिखाई देता है वह 19 वीं सदी में आया. सांता का आधुनिक रूप 19 वीं सदी में लोकप्रिय हुआ. निकोलस रात के समय गरीब और जरूरतमंदों को गिफ्ट दिया करते थे, ये उपहार वो अपनी पहचान छिपाकर रखते थे.
उत्तरी ध्रुव से आते हैं सांता
सांता क्लॉज का जब नाम आता है तो जेहन में एक इमेज उभरती है. जिसमें सांता क्लॉज बर्फ के पहाड़ों के ऊपर से उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर सवार होकर चले आ रहे हैं. दरअसल जो बर्फ का जो क्षेत्र नजर आता है वह उत्तरी ध्रुव यानि नॉर्थ पोल का है. माना जाता है कि सांता उत्तरी ध्रुव से ही अपने उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर सवार होकर निकलते हैं और जो भी रात में उन्हें मिलता है उसे वे गिफ्ट देते जाते हैं.