जहां रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई के घर जाकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं तो वहीं इससे विपरीत भाई दूज(Bhai Dooj) के पावन पर्व पर भाई बहन के घर आता है और माथे पर तिलक लगवाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस दिन भाई ही बहन के घर क्यों जाता है..कब से और क्यों इस परंपरा की शुरुआत हुई और इसका महत्व क्या है.
दरअसल, इसके पीछे का महत्व पौराणिक कथाओं में मिलता है और इसके लिए इस पर्व से जुड़ी कथा को जानना भी बेहद जरुरी है.


भाई दूज कथा(Bhai Dooj Story)
कहते हैं आयु के देवता यमराज और मां यमुना आपस में भाई बहन हैं. यमुना ने ना जाने कितनी बार अपने भाई यम को अपने घर आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन यम काम के चलते उनसे मिलने नहीं जा पाते थे. कई सालों के बाद आखिरकार यम बहन यमुना से मिलने पहुंचे थे. और जिस दिन वो यमुना से मिलने गए उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि थी. भाई यम के आने से यमुना बहुत प्रसन्न की. उन्होंने खुश होकर भाई की जमकर आवभगत की. पकवान बनाए और पूरे आदर सम्मान के साथ भोजन कराया. इसस खुश होकर भाई यम ने बहन को एक वरदान दे दिया था.


बहन यमुना ने मांगा था ये वरदान
तब बहन यमुना ने अपने भाई यम से वरदान मांगा कि आप इस तिथि को हर वर्ष इसी तरह मेरे घर आएं. और जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर आदर सत्कार से भोजन करें और टीका करवाएं उसे आपका यानि यम का भय न रहे. इसीलिए हर साल भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. वहीं चूंकि इस दिन यम खुद अपनी बहन के घर आए थे इसीलिए इस पर्व पर भाई के ही बहन के घर आने की परंपरा है.


इस बार ये है भाई दूज का मुहूर्त(Bhai Dooj Muhurt)
यूं तो भाई और बहन जिस भी घड़ी में यह पर्व मनाए वो शुभ ही होता है लेकिन फिर भी दिन में कुछ घड़ियां ऐसी भी होती हैं जो अति शुभ फलदायी मानी गई हैं. इसीलिए भाई दूज के शुभ मुहूर्त की बात करें तो दोपहर 12.56 बजे से लेकर 03.06 बजे तक बहनें भाई को टीका कर सकती हैं. ये समय शुभ माना गया है.