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साल में दो बार मनाया जाता है ईद का त्योहार, जानें इतिहास

ईद साल में दो बार मनाई जाती है. ईद- उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है और ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से जाना जाता है.

ईद इस्लाम धर्म का एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. इस्लामिक कलैंडर के मुताबिक ईद साल में दो बार मनाई जाती है. ईद- उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है और ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से जाना जाता है. शनिवार 1 अगस्त को बकरीद यानि ईद-अल-जुहा मनाई जाएगी. आज हम आपको ईद के त्योहार को लेकर सभी जानकारियां देंगे

ईद-उल-फितर ईद-उल- फितर या मीठी ईद रमजान के 30वें रोजे के चांद को देखने के बाद मनाई जाती है. माना जाता है कि 624ई. में पहली बार ईद-उल-फितर या मीठी ईद मनाई गई थी. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में शानदार जीत हासिल की थी. इसी जीत की खुशी में पहली बार ईद मनाई गई थी.

बकरीद बकरीद ईद-उल फितर के बाद इस्लाम धर्म का सबसे अहम त्योहार है. रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों बाद बकरीद मनाई जाती है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद या ईद-उल-जुहा मनाई जाती है.

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था. ऐसा माना जाता है कि खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था.

हजरत इब्राहिम को लग रहा था कि कुर्बनी देते वक्त उनकी भावनाएं उनकी राह में आ सकती हैं. इसलिए उन्होंने अपनी आंख पर पट्टी बांध कर कुर्बानी दी. उन्होंने जब अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उन्हें अपना बेटा जीवित नजर आया. वहीं कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेड़ जैसा जानवर) पड़ा था. इसी वजह से बकरीद पर कुर्बानी देने की प्रथा की शुरुआत हुई.

बकरीद को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद इस दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाने लगी.

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