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Akshay Tritiya 2022: अक्षय तृतीया क्यों होता है इतना ख़ास? जानें इसका महत्व

Akshaya Tritiya 2022: पति के दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलायें अक्षय तृतीया का व्रत रखती हैं. इस बार यह 3 मई को रखा जाएगा.

Akshay Tritiya 2022 importance: अक्षय तृतीया का व्रत 3 मई दिन मंगलवार को रखा जायेगा. इस दिन सुहागिन महिलायें अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. हिंदू धर्म शास्त्र में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही बेहद खास माना गया है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए शुभ कामों का अक्षय परिणाम प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि आप जो भी सत्कर्म अक्षय तृतीया के दिन करते हैं उसका लाभांश कभी नष्ट नहीं होता है. वह कई गुना होकर आपको प्राप्त होता है. इसीलिए इसे अक्षय कहा जाता है. आइये जानें यह इतना ख़ास क्यों होता है?

क्यों है अक्षय तृतीया का ख़ास महत्व

अक्षय तृतीया का हिंदू और जैन धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन कोई भी नया काम बिना किसी विचार भाव के शुरू किया जा सकता है. नया व्यापार शुरू करना, भवन अथवा भूखंड खरीदना, गृह प्रवेश करना, आभूषण, वस्त्र, वाहन आदि की खरीदारी करना, शादी विवाह, मुंडन संस्कार आदि किसी भी कार्य के लिए पंचांग को देखने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं पड़ती. आप निसंकोच अपना कोई भी कार्य कर सकते हैं, किसी भी तरह की खरीदारी कर सकते हैं. अक्षय तृतीया को आखा तीज या अक्षय तीज के नाम से भी जाना जाता है.

अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व

इस का पौराणिक महत्व भी है. मान्यता है कि इसी दिन सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था. द्वापर युग का समापन और महाभारत युद्ध का समापन भी इसी तिथि को हुआ था. भगवान विष्णु के नर नारायण अवतार, हयग्रीव, परशुराम जी का धरा अवतरण  भी इसी तिथि को हुआ था.

जैन धर्म के पहले प्रवर्तक ऋषभदेव जी महाराज वर्षों की तपस्या के उपरांत इसी दिन गन्ने के रस से अपने व्रत का पारण किया था. अक्षय तृतीया के दिन व्रत और पूजा का भी विशेष महत्व है इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा सफेद कमल या सफेद गुलाब के फूलों से की जाती है सफेद पुष्प ना मिलने पर पीले फूलों से भी पूजा की जा सकती है. इस दिन पूजा के उपरांत जौ  या गेहूं के सत्तू , ककड़ी , खीरा, चने की दाल का प्रसाद वितरण किया जाता है. पूजा के बाद फल, फूल, बर्तन , वस्त्र आदि का दान ब्राह्मण को दिया जाता है.

अक्षय तृतीया बसंत ऋतु के समापन और ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ का भी दिन है इसलिए इस दिन जल से भरे घड़े , पंखे, खड़ाऊं, छाता, खरबूजा, चीनी, चावल, नमक आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान दिया जाता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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