1.खगोलीय आधार पर खास- सबसे खास बात तो यही है कि 21 जून को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जिसको वलयाकार या चूड़ामणि या कंकड़ सूर्य ग्रहण अथवा ‘रिंग ऑफ़ फायर’ के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रकार की घटना तब होती है जब सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीधी लाइन में होते हैं और चन्द्रमा सूर्य के मध्य भाग को ढक लेता है. तब सूर्य की रोशनी केवल सूर्य के किनारे के भाग से निकलती है. इस प्रकार की घटना होने पर दिन में ही रात के जैसा अँधेरा हो जाता है और सूर्य का प्रकाशित भाग एक रिंग अथवा चूड़ी के आकार में दिखाई देने लगता है.
2.धार्मिक आधार पर भी खास- धार्मिक आधार पर इस ग्रहण की बात अगर की जाए तो यह ग्रहण ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष योग का निर्माण कर रहा है जिसके कारण इस दिन राहु और केतु एक ही लाइन में आने जा रहे हैं. तो वहीँ दूसरी तरफ यह ग्रहण रविवार के दिन लगने के कारण महाग्रहण होगा, वहीँ कालसर्प योग लगने की भी स्थिति बनती दिखाई दे रही है. जिससे अंतर्गत राहु के साथ बुध और सूर्य आने वाले हैं और राहु सूर्य को ग्रहण की गिरफ्त में लेने जा रहा है. ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति किसी बड़े भूकंप का कारण भी बन सकती है और इसके साथ ही साथ अन्य दूसरे भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आने के योग बन सकते हैं.
ग्रहण का समय और सूतक काल- रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण रविवार की सुबह 9:15 बजे से शुरू हो जाएगा और 03:04 बजे समाप्त होगा. ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले यानी कि शनिवार की रात 09:25 से शुरू हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त होगा. सूतक काल को सामान्य रूप से अशुभ माना जाता है और इस समय कोई शुभ करना निषेध किया गया है.