सूर्य और शनिदेव के बीच क्यों है इतनी शत्रुता, जानें इसका कारण
सूर्यदेव शनि के पिता हैं फिर भी इनके बीच कट्टर शत्रुता है. पौराणिक कथाओं में इन दोनें के संबंधों को लेकर काफी कुछ बताया गया है.
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सूर्यदेव और शनिदेव के बीच पिता-पुत्र का संबंध है, लेकिन इसके बावजूद भी इनके बीच कट्टर शत्रुता है. हालांकि यह बात कम ही लोग जानते हैं कि पिता-पुत्र होने पर भी इनके संबंधों में इतनी कटुता क्यों है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देव की पत्नी संज्ञा सूर्यदेव के तेज को सहन नहीं कर पाती थीं. समय बीतता गया और दोनों की वैवस्त मनु, यम और यमी नामक संतानें भी हुईं. इस बीच संज्ञा के लिए अब सूर्यदेव के तेज को सहन करना असंभव होता जा रहा था.
संज्ञा को इस मुश्किल से बचने के लिए एक उपाय सूझा. संज्ञा ने अपनी परछाई छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ दिया और खुद चली गई. सूर्यदेव को छाया पर संदेह नहीं हुआ और दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगे. दोनों के सावर्ण्य मनु, तपती, भद्रा एवं शनि नामक संतानें हुईं.
शनि जब छाया के गर्भ में थे तो छाया तपस्यारत रहती थीं और व्रत उपवास भी खूब किया करती थीं. कहते हैं कि उनके अत्यधिक व्रत उपवास करने से शनिदेव का रंग काला हो गया.
भगवान सूर्य जब अपने पुत्र को देखने पत्नी छाया से मिलने गए, तब शनि ने उनके तेज के कारण अपने नेत्र बंद कर लिए. सूर्य ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा और पाया कि उनका पुत्र तो काला है. उन्हें भ्रम हुआ कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता है. इस भ्रम के चलते ही उन्होंने अपनी पत्नी छाया को त्याग दिया. इस वजह से कालांतर में शनि अपने पिता सूर्य का कट्टर दुश्मन हो गए.
आगे चलकर शनि ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया. जब शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो शनि ने कहा कि पिता सूर्य ने मेरी माता छाया का अनादर कर उसे प्रताड़ित किया है, इसलिए आप मुझे सूर्य से अधिक शक्तिशाली व पूज्य होने का वरदान दें.
शिव ने शनि को वरदान दिया कि तुम श्रेष्ठ स्थान पाने के साथ ही सर्वोच्च न्यायाधीश और दंडाधिकारी भी रहोगे. साधारण मानव तो क्या देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर, गंधर्व व नाग सभी तुम्हारे नाम से भयभीत होंगे. तभी से शनिदेव का शनि ग्रह ग्रहों में सबसे शक्तिशाली और संपूर्ण सिद्धियों के दाता है. यह प्रसन्न हो जाएं, तो रंक से राजा बना दें और क्रोधित हो जाएं, तो राजा से रंक भी बना सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और सूर्य एक ही भाव में बैठे हों तो उस व्यक्ति के अपने पिता या अपने पुत्र से कटु संबंध रहेंगे. शनि देव भगवान शिव के भक्त हैं. उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है.
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