Kali Chaudas 2020 : नरक चौदस को क्यों कहा जाता है काली चौदस? इस वजह से इस दिन की जाती है मां काली की विशेष आराधना
यूं तो यह दिन विशेष रूप से यम की पूजा के लिए होता है लेकिन इस दिन मां काली की विशेष पूजा का भी विधान है. चलिए बताते हैं इसके पीछे का कारण.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर होता है धनतेरस(Dhanteras) व चतुर्दशी को मनाई जाती है नरक चतुर्दशी(Narak Chaturdashi), जिसे नरक चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली व काली चौदस(Kali Chaudas) के नाम से भी जाना जाता है. यूं तो यह दिन विशेष रूप से यम की पूजा के लिए होता है लेकिन इस दिन मां काली की विशेष पूजा का भी विधान है.
इस दिन होती है काली जयंती बंगाल में कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन काली जयंती मनाई जाती है. यही कारण है कि इस दिन जहां पूरे देश में यम की विशेष पूजा की जाती है और उन्ही के नाम का दीप दान किया जाता है तो वहीं बंगाल में काली की खासतौर से पूजा की जाती है. कहते हैं इस विशेष दिन काली की पूजा करने से ना केवल उनका आशीर्वाद मिलता है बल्कि उनकी कृपा से शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है.
भगवान कृष्ण की भी होती है पूजा वहीं जहां बंगाल में इस दिन मां काली की आराधना होती है तो वहीं ब्रज मंडल में इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है. कहते हैं इस दिन कन्हैया ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का संहार किया था और 16 हज़ार कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था. बाद में कृष्ण ने उन सभी कन्याओं के साथ विवाह भी किया ताकि समाज में उन्हें उचित मान सम्मान मिल सके. इसीलिए भगवान कृष्ण की 16 हज़ार पत्नियां व 8 मुख्य पटरानियां हैं.
आज है हनुमान जयंती वहीं काली जयंती ही नहीं बल्कि इस दिन हनुमान जयंती भी है. वाल्मीकि की रामायण के मुताबिक इस दिन बजरंगबली का जन्म हुआ था यही कारण है कि इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है.
यम के नाम का दीप करें दान इस दिन पूरे देश में आयु के देवता यम की विशेष पूजा होती है और उनके नाम का दीप दान भी किया जाता है. इसके लिए घर के मुख्य द्वार के बांई ओर अनाज की ढेरी रखी जाती है जिस पर रखकर सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की तरफ होनी चाहिए.