सर्दियों की तेज़ ठंड अपने साथ न केवल सुंदर दृश्य और आनंदमय उत्सव लेकर आती है. इससे श्वसन संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. निमोनिया सर्दियों की कई स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है जो गंभीर खतरा पैदा करती है. जब तापमान गिरता है और श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है तो निमोनिया के लिए निवारक उपाय करना महत्वपूर्ण है.


सर्दी आते ही निमोनिया का खतरा


निमोनिया का सबसे आम कारण एक सूजन संबंधी फेफड़ों की बीमारी जो वायुकोशों को प्रभावित करती है. बैक्टीरिया, कवक या वायरस हैं. सर्दियों के महीनों के दौरान लोग श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि ऐसी स्थितियां इन रोगजनकों के प्रसार को बढ़ावा देती हैं. इस मौसमी खतरे से निपटने के लिए घरेलू और चिकित्सीय उपाय दोनों करना अनिवार्य है.


घरेलू उपाय


नियमित रूप से हाथ धोने और स्वच्छता का अभ्यास करके निमोनिया का कारण बनने वाले वायरस को पकड़ने का जोखिम काफी कम किया जा सकता है.


सही वेंटिलेशन


वेंटिलेशन के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह वायुजनित रोगजनकों के संचय को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सुनिश्चित करें कि आपके रहने वाले क्षेत्र में श्वसन संबंधी परेशानियों की मात्रा को कम करने के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन है. मौसम के अनुसार कपड़े पहनना जितना आरामदायक है उतना ही सुरक्षात्मक उपाय भी है. सर्द हवाओं के संपर्क में आने पर, अपने मुंह और नाक को ढकने से ठंडी हवा को आपके फेफड़ों में प्रवेश करने से रोकने में मदद मिलती है, जिससे श्वसन संक्रमण विकसित होने का खतरा कम हो जाता है. एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने के लिए विटामिन और खनिजों से भरपूर और अच्छी तरह से संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। फलों, सब्जियों और खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं.


निमोनिया का इलाज


नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. देवेश कुमार सिंह प्रारंभिक जांच और टीकाकरण के महत्व पर जोर देते हैं. निमोनिया से बचाव के लिए दो रणनीतियों की जरूरत है. प्रारंभ में, श्वसन संबंधी लक्षणों को यथाशीघ्र पहचानना अत्यावश्यक है. यदि आपको लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द हो तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें. निमोनिया के प्रति अधिक संवेदनशील व्यक्तियों के लिए टीकाकरण के अलावा निवारक दवाएं भी निर्धारित की जा सकती हैं. विशेष जोखिम कारकों के आधार पर, इनमें एंटीवायरल या एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हो सकती हैं. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.