(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
शनि की चाहिए कृपा तो काफी जरूरी है इन दो गुणों की मौजूदगी
शनिदेव की दृष्टि को सबसे प्रभावी बताया गया है. उनकी दृष्टि से देवता भी डरते हैं. उनकी दृष्टि की सबसे बड़ी खूबी है वे वह सब भी देख पाते है जो कोई अन्य नहीं देख पाता है. शनिदेव की दृष्टि के अत्यंत प्रभावी होने के दो मूल गुण हैं- संवेदशीलता और ज्ञान यानी विद्या.
शनि की कृपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण संवेदशीलता और ज्ञान यानी विद्या हैं. इन्हीं दो गुणों के कारण शनिदेव की दृष्टि का मनुष्य तो क्या देवता भी सामना करने से बचते हैं. शनिदेव की दृष्टि वह सब कुछ देख और समझ पाने में सक्षम है जिसे कोई अन्य सहजता से नहीं जान पाता है. उदाहरण के लिए किसी कलाकार की पेंटिंग की बारीकियों को समझ पाना आसान नहीं होता. अक्सर सरल सा दिखने वाला यह कार्य आसान नहीं होता है. अच्छा विद्वान और संवेदनशील व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है.
विद्वता और संवेदनशीलता गुण सामान्यतः श्रेष्ठ जननेताओं, राजनेताओं और अन्य जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों में होते हैं. इससे वे लोगों की आवश्यकताओं को जान पाते हैं. उन्हें पूरा करने का प्रयास कर पाते हैं.
मात्र विद्वान होने या संवेदनशील होने से बात नहीं बनती है. विद्वान अंसवेदनशीलता की स्थिति में महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज कर देता है. संवेदनशील विषय की समझ की कमी में यह आंकलन नहीं कर पाता कि उसकी संवेदनशीलता सही दिशा में है या नहीं.
इन दोनों गुणों को बढ़ाने के लिए हम सभी को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. ज्ञान और विद्वता गुरुओं के संरक्षण एवं बड़ों की कृपा से प्राप्त होती हैं. संवेदनशीलता आदरभाव और विनम्रता से मिलती है. शनिदेव में यह दोनों गुण सर्वाेच्चता में विद्यमान हैं. इन्हीं गुणों से वे न्याय और भाग्य के देवता हैं.
इस तथ्य की समझने के लिए इस श्लोक को हमेशा हमें याद रखना चाहिए...
विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
विद्या विनय देती है. विनय से पात्रता आती है. पात्रता से धन आता है. धन से धर्म होता है और धर्म से सुख प्राप्त होता है.