नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के ही नौ अलग अलग रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. हर दिन एक अलग स्वरूप को समर्पित होता है. जिनमें सबसे पहले आराधना होती है शैलपुत्री माता की. कहते हैं कि अगर विधि विधान से पूजा अर्चना कर देवी को प्रसन्न कर दिया जाए तो मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. चूंकि नवरात्रि के पहले दिन ही घट स्थापना होती है और इसी दिन देवी शैलपुत्री की भी पूजा की जाती है इसीलिए ये दिन और भी विशेष हो जाता है. चलिए जानते हैं शैलपुत्री माता की पूजा विधि.


शैलपुत्री देवी की आराधना से पहले जानिए घट स्थापना की विधि 


पहले नवरात्रि की सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नान करें. किसी शुद्ध व पवित्र स्थान पर मिट्टी से वेदी बनाए. मिट्टी की जगह लकड़ी की चौकी का इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस पर मां की मूर्ति स्थापित करें. मिट्टी का कलश लें जिसमें मिट्टी लेकर उसमें जौ बोए. सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और फिर पूरी विधि के साथ दुर्गा मां की आराधना करें.




  • शैलपुत्री माता की पूजा विधि

  • सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं

  • कपड़े पर केसर से शं लिखें। और चौकी पर शैलपुत्री मां की तस्वीर स्थापित करें

  • हाथ में लाल रंग के फूल लें और ध्यान लगाएं, देवी के मंत्र का जाप करें 

  • ध्यान के लिए इस मंत्र को पढ़ें - ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:

  • जब मंत्र का जाप हो जाए तो हाथ में रखें फूल माता की तस्वीर पर अर्पित करें। मां को भोग लगाएं 

  • अब देवी शैलपुत्री देवी के मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र है - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:

  • मां से मनोकामना पूर्ति की कामना करें और आशीर्वाद लें.


स्रोत पाठ करें


मां दुर्गा को समर्पित इन नौ दिनों के पहले दिन माता शैलपुत्री का स्रोत पाठ कर सकते हैं। जो विशेष फलदायी है। इस स्रोत पाठ से उत्तम फल की प्राप्ति होती है





इसके अलावा देवी की उपासना के लिए इस मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है.