दुर्गाष्टमी: इस दिन महाष्टमी के नाम से जाना जाता है. दुर्गा पूजा का ये सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. महाष्टमी पर दुर्गा पूजा महास्नान और षोडशोपचार पूजा से शुरू होती है. इस दिन की पूजा महासप्तमी की पूजा की तरह ही की जाती है.


इस दिन नौ एक जैसे छोटे-छोटे बर्तन स्थापित किए जाते है और मां दुर्गा के सभी नौ अवतारों का आहवान किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है. पूजन और हवन के बाद कन्या का पूजन होता है. जिसमें कन्या को पकवान और उपहार प्रदान किए जाते है. दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की 32  नामावली का पाठ करना चाहिए. ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है.


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दुर्गा नामावली


1- दुर्गा, 2- दुर्गार्तिशमनी, 3- दुर्गाद्विनिवारिणी, 4- दुर्गमच्छेदनी, 5- दुर्गसाधिनी, 6- दुर्गनाशिनी, 7- दुर्गतोद्धारिणी, 8- दुर्गनिहन्त्री, 9- दुर्गमापहा, 10- दुर्गमज्ञानदा, 11- दुर्गदैत्यलोकदवानला,    12- दुर्गमा, 13- दुर्गमालोका, 14- दुर्गमात्मस्वरुपिणी, 15- दुर्गमार्गप्रदा, 16- दुर्गमविद्या, 17- दुर्गमाश्रिता, 18- दुर्गमज्ञानसंस्थाना, 19- दुर्गमध्यानभासिनी, 20- दुर्गमोहा, 21- दुर्गमगा, 22- दुर्गमार्थस्वरुपिणी, 23- दुर्गमासुरसंहंत्रि, 24- दुर्गमायुधधारिणी, 25- दुर्गमांगी, 26- दुर्गमता, 27- दुर्गम्या,     28- दुर्गमेश्वरी, 29-दुर्गभीमा, 30- दुर्गभामा, 31- दुर्गभा, 32- दुर्गदारिणी.


दुर्गा अष्टमी के उपाय


मां दुर्गा अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती है और अपना आर्शीवाद प्रदान करती है. जिन लोगों के जीवन में बाधाएं बनी हुई हैं उन्हें इस दिन इन उपायों का करना चाहिए इससे परेशानियां कम होती है और सुख समृद्धि प्राप्त होती है.


दीपक जलाएं- घर में सुख समृद्धि के लिए दुर्गा अष्टमी की रात में घर के मुख्य दरवाजे पर रात 12 बजे गाय के घी का एक दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं.


दुर्गा चालीसा का पाठ करें- अष्टमी की रात में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माता प्रसन्न होती है और घर के सभी सदस्यों पर अपना आर्शीवाद बनाएं रखती हैं. कलह का वातावरण खत्म होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.


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