Yashoda Jayanti 2023: हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ममता की मूरत माता यशोदा का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन को यशोदा जयंती के नाम से जाना जाता है. माता यशोदा को कृष्ण की पालक मां कहा जाता है. कान्हा का जन्म भले ही देवकी के गर्म से हुआ हो लेकिन माता यशोदा ने उनकी परवरिश की. गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में ये पर्व खासतौर पर मनाया जाता है. यशोदा जयंती पर महिलाएं अपनी संतान की दीर्धायु, उनकी रक्षा और उज्जवल भविष्य के लिए व्रत करती है. कृष्ण मंदिर में इस दिन बालगोपाल और मां यशोदा की पूजा-पाठ, भजन, कीर्तन करते हैं. आइए जानते हैं यशोदा जयंती की डेट, मुहूर्त और महत्व.
यशोदा जयंती 2023 कब है ? (Yashoda Jayanti 2023 Date)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 11 फरवरी 2023 को सुबह 09 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी. अगले दिन 12 फरवरी 2023 को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी. यशोदा जयंती का त्योहार 12 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा.
पूजा का मुहूर्त - सुबह 09.54 - सुबह 11.17 (12 फरवरी 2023)
यशोदा जयंती का महत्व (Yashoda Jayanti Significance)
देवी यशोदा को ममता का प्रतीक माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा और कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने से संतान पर कभी संकट नहीं आता. श्रीकृष्ण स्वंय साधक के बच्चे की रक्षा करते हैं. संतान सुख पाने के लिए यशोदा जयंती पर कई स्त्रियां व्रत भी रखती हैं. इस त्योहार को पूरी दुनिया में वैष्णव परंपरा के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान में श्रीकृष्ण के गुण आते है. वह सुखी और संपन्न रहता है.
यशोदा जयंती पूजा विधि (Yashoda Jayanti Puja vidhi)
यशोदा जंयती पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें. पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता यशोदा की गोद में विराजमान कृष्ण की तस्वीर स्थापित करें. ऐसी फोटो न हो तो कान्हा के समझ दीपक लगाकर पूजा करें. माता यशोदा को लाल चुनरी ओढ़ाएं. रोली, कुमकुम, फूल, तुलसी, धूप, दीप से पूजा करें. कन्हैया और यशोदा को पान, केले, माखन का भोग लगाएं. गोपाल मंत्र का जाप एक माला जाप करें. लड्डू गोपाल की आरती करें. इस दिन 11 छोटी कन्याओं को भोजन कराएं. पूजा संपन्न करने के बाद गाय को हरा चारा खिलाएं.
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