Mahabharat : युधिष्ठिर ने गांडीव फेंकने को कहा तो तलवार लेकर मारने दौड़ पड़े अर्जुन
युद्ध में कर्ण ने युधिष्ठिर को बेदम कर दिया तो घायल युधिष्ठिर को शिविर में लाया गया. तभी भाई का हाल जानने वहां अर्जुन पहुंचे.
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Mahabharat : महाभारत के 17वें दिन युधिष्ठिर-कर्ण में भयंकर युद्ध हुआ. कर्ण ने युधिष्ठिर को लगभग बेदम कर दिया. बुरी तरह घायल युधिष्ठिर को शिविर में लाया गया, जहां दौड़े-दौड़े आए अर्जुन को देखकर भड़के युधिष्ठिर ने अर्जुन को गांडीव त्याग देने को कहा. तभी भड़के अर्जुन ने गांडीव उन्हीं पर तान दिया, ऐसे में श्रीकृष्ण ने बीच में पड़कर दोनों भाइयों को समझाया.
कर्ण के हमलों से बेहाल युधिष्ठिर को देखकर नकुल और सहदेव ने उन्हें आनन-फानन में शिविर में ले गए, जहां उनकी मरहम-पट्टी शुरू की गई. इस दौरान तीनों भाई तंबू में थे तो बाकी दो अर्जुन और भीम युद्ध में शत्रुओं से संघर्ष कर रहे थे. अचानक अर्जुन को युधिष्ठिर की अनुपस्थिति का अहसास हुआ तो उन्होंने भीम से पूछा. भीम ने बताया कि कर्ण से द्वंद में युधिष्ठिर घायल हो गए, उन्हें विश्राम के लिए ले जाया गया है.
भीम ने अर्जुन से कहा कि वह शत्रुओं को अकेले संभाल लेंगे, वे युधिष्ठिर के पास जाएं और स्वास्थ्य जानें. इस पर अर्जुन भागते हुए युधिष्ठिर के तंबू की ओर चले, जहां युधिष्ठिर पीड़ा से परेशान थे. तंबू में लेटे युधिष्ठिर अर्जुन को आते हुए देख कर खुशी से भर उठते हैं. उन्हें लगता है कि अर्जुन ने युद्ध में कर्ण को मार कर उन्हें खुशखबरी सुनाने आ रहे हैं. अर्जुन ने आकर स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो युधिष्ठिर यह जानने के लिए बेकरार थे कि अर्जुन ने कर्ण को मारा या नहीं.
मगर अर्जुन के मुख से सच्चाई सुनकर युधिष्ठिर आपा खो बैठे. वो बोले, तुम यहां मेरे घावों के बारे में पूछने आए हो या उन्हें और कुरेदने आए हो? तुम कैसे भाई हो जो अब तक बड़े भाई के अपमान का बदला नहीं ले सके. इस पर अर्जुन शर्मिंदा हो गए, फिर युधिष्ठिर ने कहा तुम मेरे लिए इतना भी करने में असमर्थ हो तो तुम्हारे इस गांडीव का कोई लाभ नहीं, उतार कर फेंक दो. इस पर अर्जुन को क्रोध आ गया, उन्होंने शपथ ले रखी थी कि किसी ने भी अगर गांडीव की निंदा की या त्यागने की बात कही तो वह उसका वध कर देंगे.
अर्जुन तुरंत गांडीव उठाकर तमतमाए चेहरे से युधिष्ठिर पर तान दिया. तभी वहां पहुंचे श्रीकृष्ण ने तत्काल अर्जुन को रोक दिया. कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि वचनानुसार तुम्हें बड़े भइया को मार देने का पूरा हक है, लेकिन धार्मिक संदर्भों में यह पाप है. तुम्हे वचन पूरा ही करना है तो दूसरा उपाय है. अपने से बड़ों का अनादर करना, उन्हें मृत्यु दंड के समान होता है. तुम बड़े भइया का अपमान करो वचन पूरा हो जाएगा. अर्जुन ने अगले ही पल युधिष्ठिर को अपमानित करते हुए खूब तिरस्कृत किया, लेकिन बड़े भाई का अनादर भी अर्जुन सहन नहीं कर पाए और इस बार खुद अपनी जान लेने के लिए तलवार उठा ली, इस बार भी कृष्ण ने उन्हें रोक कर दोनों भाइयों की जान बचा ली.
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