ऑटो रिक्शा, एसी कार टैक्सी या बस, किसमें ज्यादा तेजी से फैलता है कोरोना? रिसर्च से हुआ ये खुलासा
रिसर्च में परिवहन के चार माध्यम टैक्सी, ऑटो रिक्शा, बस और एयर कंडीशनर टैक्सी का विश्लेषण किया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऑटो रिक्शा के मुकाबले एयरकंडीशनर टैक्सी में बैठे कोरोना पॉजिटिव शख्स से संक्रमण का 300 गुना ज्यादा खतरा है.
ऑटो रिक्शा के मुकाबले एयर कंडीशनर टैक्सी में सह यात्री से कोविड-19 संक्रमण की संभावना 300 गुना ज्यादा होती है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की तरफ से किए गए रिसर्च में खुलासा हुआ है. दो शोधकर्ता दर्पण दास और गुरुमुर्ति रामाचंद्रन ने परिवहन के चार माध्यम टैक्सी, ऑटो रिक्शा, बस और एयर कंडीशनर टैक्सी का विश्लेषण किया. रिसर्च का विषय था 'भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान परिवहन की विभिन्न गाड़ियों का जोखिम विश्लेषण.'
परिवहन के चार माध्यमों में ऑटो रिक्शा ज्यादा सुरक्षित
उन्होंने पाया कि एयरकंडीशनर टैक्सी में बैठे कोरोना पॉजिटिव यात्री से बीमारी की चपेट में आने का करीब 300 गुना ज्यादा खतरा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि परिवहन के चारों विकल्पों में से ऑटो सबसे सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि एयर कंडीशनर बिना टैक्सी में कोरोना से संक्रमित होने की संभावना 250 फीसद तक कम हो जाती है. एयर कंडीशनर और एयर कंडीशनर बिना टैक्सी में खतरे का हिसाब लगाकर उन्होंने नतीजा निकाला कि दोनों प्रकार की टैक्सी में खतरा 75 फीसद तक कम हो गया जब वाहन शून्य से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चले.
उन्होंने कहा कि ऑटो के मुकाबले एयर कंडीशनर बिना टैक्सी में खतरा 86 गुना ज्यादा पाया गया. खुली खिड़की गतिहीन बस में ऑटो में बैठे चार लोगों के मुकाबले कोविड-19 से संक्रमित होने की 72 गुना ज्यादा संभावना हो जाती है. रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने हवा से फैलनेवाले संक्रामक रोग के Wells-Riley मॉडल का इस्तेमाल किया. इस मॉडल का इस्तेमाल पहले ट्यूबरक्युलोसिस और मीजल्स के ट्रांसमिशन को समझने में किया जा चुका है. इस मॉडल के जरिए ट्रांसमिशन पर वेंटिलेशन का अनुमान लगाया गया. रिसर्च में माना गया कि हवा में संक्रामक वायरस के अंश होते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, मॉडल से अंदाजा हुआ कि छोटे, खराब वेंटिलेटेड कमरे में संक्रामक वायरस के अंशों की एकाग्रता अधिक होने की प्रवृत्ति होगी, और ये बड़े, बेहतर तरीके से वेंटिलेटेड किए गए कमरों में कम होगी.
कोरोना संक्रमण में परिवहनों की भूमिका पर रिसर्च
दास ने स्पष्ट किया कि कोरोना संक्रमित शख्स से वायरल संक्रमण की विभिन्न दर को समझने की कोशिश की गई. इसका आधार विभिन्न गतिविधियां जैसे गाना, बातचीत करना रखा गया था. वाहन की कम आवाज के कारण समझा गया कि ये मिला जुला कमरा है. ऑटो में ड्राइवर समेत पांच लोग एक दूसरे बहुत करीब बैठे, लेकिन वेंटिलेशन के कारण संक्रमण की संभावना सबसे कम हो गई. ज्यादा कम वेंटिलेशन के कारण बैठे 40 लोगों से बस में संक्रमण की संभावना अधिक थी. वायरस के हवाई स्वभाव की वजह से छह फीट की दूरी और मास्क के अलावा वेंटिलेशन ट्रांसमिशन की रोकथाम में महत्वपूर्ण पैरामीटर माना गया. दास ने कहा, "ये कहने का नहीं है कि ऑटो रिक्शा पूरी तरह सुरक्षित हैं.
हम कह रहे हैं कि ऑटो रिक्शा तुलनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित हैं, अगर आपने मास्क पहन रखा है." हालांकि, शोधकर्ताओं ने हिसाब नहीं लगाया कि बस के गति में होने से कितना जोखिम कारक कम हो जाता है, लेकिन ये जरूर माना कि कम होने की संभावना है. रिसर्च में बताया गया कि डिजाइन के कारण ऑटो रिक्शा में जोखिम समान रहने की संभावना है, चाहे ये गतिहीन हो गति में हो. दोनों शोधकर्ता अब रेल और हवाई यात्रा में मुसाफिरों के जोखिम का अंदाजा लगाने पर काम कर रहे हैं. दास कहते हैं, "महामारी ने सार्वजनिक परिवहन में वेंटिलेशन सिस्टम को फिर से डिजाइन और दोबारा विचार करने का अवसर दिया है."
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