Developing transplantable organs: अंग प्रत्यारोपण की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाया गया है. चीन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे भविष्य में अंग दान की कमी की समस्या का हल निकल सकता है.  गुआंगझोऊ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ के वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक रूप से परिवर्तित सुअरों के भ्रूणों में मानव किडनी का सफलतापूर्वक विकास किया है. यद्यपि इस तरह के प्रयोगों पर नैतिकता के सवाल भी उठ रहे हैं, पर इसे अंग प्रत्यारोपण क्षेत्र के लिए एक बड़ी खोज माना जा रहा है. उन्होंने वैज्ञानिक सुअर के भ्रूण में मानव किडनी का विकास किया है. यह खोज भविष्य में अंग प्रत्यारोपण क्षेत्र में क्रांति ला सकती है.


जानवरों की नैतिकता पर उठ रहे हैं
गुआंगझोऊ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ की टीम ने पांच साल तक इस पर शोध किया. उन्होंने सुअर के भ्रूण की आनुवंशिक संरचना में बदलाव किया, फिर 60 प्रतिशत मानव कोशिकाओं को प्रत्यारोपित कर मानव किडनी का निर्माण किया. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहली बार है जब किसी जानवर के अंदर मानव अंग को विकसित किया गया. भविष्य में इससे अंग दान में कमी की समस्या का समाधान निकल सकता है. हालांकि, जानवरों के इस तरह प्रयोग पर नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं. 


किडनी के साथ दिल ट्रांसप्लांट पर किया जाएगा काम 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह तकनीक सफल हुई तो इससे अंग प्रत्यारोपण क्षेत्र में क्रांति आ सकती है. लेकिन अभी और शोध की जरूरत है. शोधकर्ताओं ने बताया कि उनका अंतिम लक्ष्य पूरी तरह से काम करने योग्य मानव अंगों का उत्पादन करना है, जिन्हें सीधे प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सके. इसके लिए उन्होंने इंसान और सुअर के DNA को मिलाकर एक हाइब्रिड जीनोम बनाया है.गुआंगझोऊ इंस्टीट्यूट की टीम फिलहाल किडनी के अलावा अन्य अंग जैसे दिल, पेंक्रियाज आदि के विकास पर भी काम कर रही है. उनका मानना है कि आने वाले समय में इस तकनीक का इस्तेमाल करके कई मानव अंगों का निर्माण संभव हो पाएगा. टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जून वू ने भी इस शोध की सराहना की है उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में पिछले शोधों की तुलना में कहीं अधिक, करीब 60% तक मानव कोशिकाएं हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है. 


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