Shiv Parikrama In Sawan: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, यह महीना पूर्णरूप से भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त हैं. शिव जी के भक्त श्रावण माह (Sawan) में उनकी पूजा करते हैं, उनको प्रसन्न करने के लिए उनकी सच्चे मन से भक्ति भी करते हैं, सोमवार (Monday) का व्रत भी रखते हैं.
इस माह में प्रतिदिन मंदिर जाकर भगवान शिव की श्रद्धापूर्ण पूजा, जलाभिषेक करके, परिक्रमा करने को अत्यंत शुभ माना जाता है, और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. लेकिन अगर हम गलत तरीके से शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं तो भगवान शिव नाराज भी हो सकते हैं. और हमें पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती. शास्त्रों में भी भगवान शिव की परिक्रमा के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनमें हमें परिक्रमा करते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसका उल्लेख किया गया है आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में.
शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा न करें
सभी देवी देवताओं की हमेशा पूरी परिक्रमा की जाती है लेकिन शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती. बल्कि अर्धचंद्राकार के रूप में ही शिव परिक्रमा करना चाहिए यानि शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करनी चाहिए.
ऐसे करें परिक्रमा
शिवलिंग की परिक्रमा करते वक्त दिशा का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है, कभी भी शिवलिंग की परिक्रमा दायीं ओर से नहीं करनी चाहिए, हमेशा बायीं ओर से परिक्रमा शुरू करके जलहरी तक जाकर वापस विपरित दिशा में घूमकर उसी दिशा में लौट आएं. परिक्रमा करते समय जलहरी को लांघना भी वर्जित होता है.
जानिए जलहरी को लांघना क्यों वर्जित है?
जिस स्थान से जल प्रवाहित होता है, उस स्थान को जलहरी, निर्मली और सोमसूत्र भी कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा भगवान शिव ( पुरूष ) और नीचे का हिस्सा माता पार्वती ( महिला) का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिवलिंग को शिव और शक्ति की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.
कहा जाता है कि शिवलिंग से ऊर्जा का भी प्रवाह होता है, और जब शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है तो ऊर्जा के कुछ अंश जल में समाहित होकर जल के साथ मिलकर बहने लगते हैं. इसलिए जलहरी को लांघना अशुभ माना जाता है, अगर गलती से जलहरी लांघ ली जाए तो व्यक्ति को मानसिक या शारीरिक रोग हो सकते हैं .
घर में करें जल छिड़काव
अगर घर में ही शिवाभिषेक कर रहे हैं तो भी पानी को ऐसे स्थान पर न बहने दे जहां से गुजरने का रास्ता हो. बल्कि शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद, बहते हुए जल को किसी पात्र या कलश में एकत्रित कर लें, फिर इस पवित्र जल का छिड़काव पूरे घर और परिवार के सदस्यों पर करें, इससे नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है और परिवार के सदस्यों को रोगों से भी मुक्ति मिलती हैं.
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