स्किन डोनेट कर दुर्घटनाग्रस्त, जले हुए मरीजों की दी जा सकती है नई ज़िंदगी, जानिए क्या है प्रक्रिया
इलाज के दौरान समय पर त्वचा नहीं मिलने से मरीजों को मौत का खतरा रहता है. स्किन डोनेट कर घायल और जले हुए मरीजों को नया जीवन दिया जा सकता है.
क्या आप जानते हैं स्किन डोनेशन के जरिए भी मरीजों की जान बचाई जा सकती है? अंगदान को महादान कहा जाता है. सभी तरह के अंगदान की तरह स्क्रिन डोनेशन या त्वचा दान भी जिंदगी बचाने के काम आता है. इलाज के दौरान समय पर त्वचा नहीं मिलने से मरीजों को मौत का खतरा रहता है. विकासशील और गरीब मुल्कों में आर्टिफिशियल स्किन ट्रांसप्लांट कराना महंगा होता है. मगर स्किन डोनेशन के जरिए दुर्घटनाग्रस्त और जले हुए मरीजों को नया जीवन दिया जा सकता है.
मरीज को त्वचा की जरूरत क्यों पड़ती है?
त्वचा हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता है. ये हमारे शरीर के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. त्वचा हमें शरीर को संक्रमण से बचाता भी है. इलाज के वक्त जब कभी मरीज के अन्य भागों से त्वचा का लिया जाना संभव न हो या स्कैन के बाद उसके घावों के आकार बढ़ने की आशंका हो तो त्वचा दान की भूमिका बढ़ जाती है. मृत शरीर से दान की गई त्वचा का उपयोग कर घावों को बंद किया जा सकता है. शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, किडनी और लीवर का ट्रांसप्लांट होता है ठीक उसी तरह स्किन का भी ट्रांसप्लांट किया जाता है. दान की गई त्वचा मरीज के शरीर में हमेशा नहीं रहती है. इसका इस्तेमाल अस्थायी रूप से ड्रेसिंग में किया जाता है. चार हफ्तों बाद मरीज का शरीर इसको अस्वीकार कर देता है. त्वचा दान प्रक्रिया के दौरान खून नहीं बहता है और न ही ब्लड ग्रुप की जांच के साथ SLA को मिलाने की जरूरत होती है.
कौन कर सकता है स्किन डोनेशन?
स्किन डोनेशन का काम 18 साल की आयु वाले लोग ही कर सकते हैं. इसे मौत के 12 घंटे बाद तक ही अंजाम दिया जा सकता है. मृत शरीर को कोल्ड स्टोरेज में रखकर अवधि को 24 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है. स्किन को निकालने के बाद उसे पांच सालों तक फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है. ट्रांसप्लांट के लिए शरीर के कुछ हिस्सों जैसे कमर, जांघ, पैर और नितंबों से ही स्किन निकाली जा सकती है. मृत शरीर से स्किन निकालने के बाद स्किन को बैंक में भेजा जाता है. वहां प्रोसेसिंग कर उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. उसके बाद ही विशेषज्ञ मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट करने का फैसला लेते हैं. स्किन संक्रमण, स्किन कैंसर वाले मरीज स्किन डोनेट नहीं कर सकते हैं. त्वचा दान के प्रति जागरुकता फैलाकर हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.
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