'ये जो तुम इतना मुस्करा रहे हो...', हंसते-खिलखिलाते चेहरों के पीछे हो सकता है स्माइलिंग डिप्रेशन
सोशल मीडिया पर जो लोग मुस्कराते हुए फोटो शेयर करते हैं वो खुश हैं ऐसा जरूरी नहीं है. वो डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं और ये बात शायद उनके परिजनों और नजदीकियों को भी पता नहीं होगा.
हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें लोग पब्लिक लाइफ में या सोशल मीडिया पर काफी खुशमिजाज नजर आए. हंसते मुस्कराते हुए फोटो- वीडियो भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते दिखे और बाद में सुसाइड कर लिया.
हाल ही में एक एक्ट्रेस का मामला देखा गया, जहां सुबह में उसने पोस्ट शेयर किया. शूटिंग के लिए को- एक्टर्स के साथ तैयार भी हुई और तब वह एकदम नॉर्मल थी. किसी को लगा भी नहीं कि वह कुछ ही मिनटों में सुसाइड जैसा कदम उठा सकती हैं.
हालांकि अभी इस केस में जांच चल रही है और मामले को कई एंगल से देखा जा रहा है. वहीं कुछ सालों पहले एक और एक्ट्रेस जिया खान ने भी सुसाइड कर लिया था. उनकी जिंदगी में भी उतार-चढ़ाव की वजह से डिप्रेशन की बात सामने आई थी. इसी तरह के कई और मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
आम तौर पर इंसान पब्लिक लाइफ में बेहद नॉर्मल रहता है और पहचानना मुश्किल होता है कि वह डिप्रेशन जैसी समस्या से जूझ रहा है. इस स्थिति को "स्माइलिंग डिप्रेशन" कहते हैं.
डिप्रेशन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है. "स्माइलिंग डिप्रेशन" ऐसा ही एक मामला है, जो व्यक्ति में होता है और आम तौर पर उसे या उसके आस-पास के लोगों को पता भी नहीं चलता. इस बीमारी में मरीज अंदर से डिप्रेशन से जूझ रहा होता है, जबकि बाहर से पूरी तरह से खुश या संतुष्ट दिखाई देता है. ऐसे व्यक्ति को देख कर ऐसा लगता है कि वह एकदम सामान्य है या और एक पूर्ण जिंदगी जी रहा है. हालांकि ऐसा होता नहीं.
डिप्रेशन मानसिक बीमारी है और आम तौर पर यह उदासी, सुस्ती और निराशा से जुड़ा होता है. जिन लोगों की लाइफ स्टाइल बेहद सुस्त है और अकेले रहना पसंद करते हैं या सोचते रहते हैं. अक्सर आगे चलकर इस समस्या से जुझते हैं.
डिप्रेशन के लक्षण
मनोचिकत्सक डॉ. राजेश कुमार के अनुसार, डिप्रेशन हर किसी को अलग तरह से प्रभावित करता है और इसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है गहरी और लंबी उदासी. भूख न लगना, वजन कम होना और नींद के पैटर्न में बदलाव, थकान या सुस्ती, निराशा, आत्म-सम्मान में कमी औऱ किसी चीज में रुचि या आनंद न लेना. ये डिप्रेशन का लक्षण है.
स्माइलिंग डिप्रेशन के लक्षण
चेहरे पर मुस्कान लिए हुए डिप्रेशन का अनुभव करने वाला कोई व्यक्ति बाहर से दूसरों को खुश या संतुष्ट दिखाई देगा. हालांकि अंदर से वह डिप्रेशन के कष्टदायक लक्षणों का अनुभव कर रहा होगा. स्माइलिंग डिप्रेशन से जूझ रहे किसी व्यक्ति में ये सभी लक्षण हो सकते हैं या इनमें से कुछ हो सकते हैं. जैसे एक कामकाजी व्यक्ति जो प्रोफेशनल लाइफ में बेहद एक्टिव हो, समाज और परिवार के साथ बेहद खुश दिखने वाला और नौकरीपेशा हो, खुशमिजाज और आशावादी व्यक्ति जो आमतौर पर लोगों को खुश दिखाई देता है.
ऐसे व्यक्ति में भी डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं. इस समस्या में मरीज डिप्रेशन का अनुभव करता हैं तो भी मुस्कुराते हुए दिखता है. वह आम तौर पर अपनी स्थिति दूसरे से शेयर नहीं करता कि उसके मन में क्या चल रहा है. अगर कोई पूछे तो भी बहाना बना कर टाल देता है और खुद को खुश दिखाता है. ऐसे व्यक्ति को लगता है कि खुद को परेशान दिखाना कमजोरी है और अपनी स्थिति किसी को बताकर उसे परेशान करेगा.
डिप्रेशन और स्माइलिंग डिप्रेशन में ये है अंतर
एक डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति में कम ऊर्जा होती है और उसे सुबह बिस्तर से बाहर निकलने में भी मुश्किल होती है. वह लेजी दिखता है. हालांकि स्माइलिंग डिप्रेशन में ऊर्जा का स्तर प्रभावित नहीं होता. वह दूसरों के सामने काफी एनर्जेटिक दिखता है. हालांकि अकेले में लो फील कर सकता है. वह अकेले ही अपनी परिस्थितियों से जूझता है. ऐसे में आत्महत्या का खतरा अधिक हो सकता है.
ऐसे लोगों को बरतनी चाहिए खास सावधानी
यदि आपको लगता है कि मरीज खुद को नुकसान पहुंचा सकता है या किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचा सकता है तो तत्काल सावधानी बरतें. ऐसी स्थिति में मदद मिलने तक मरीज के साथ रहें. चाकू, दवाएं, या अन्य नुकसान पहुंचाने वाली चीजें मरीज से दूर रखें. ऐसे लोगों की बातें सुननी चाहिए. बहस न करें, धमकी न दें और ना ही चिल्लाएं. मरीज की स्थिति और खराब हो सकती है.
स्माइलिंग डिप्रेशन का खतरा किसे है?
अन्य तरह के डिप्रेशन के साथ व्यक्ति में स्माइलिंग डिप्रेशन के लक्षण भी हो सकते हैं. असफल रिश्ते या नौकरी में नुकसान, सामाजिक-पारिवारिक कारणों से व्यक्ति में स्माइलिंग डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि किसी किसी मामले में व्यक्ति की सोच बाह्य रूप से उन्मुख होती है, और अपने आंतरिक भावनात्मक स्थिति पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता. ऐसे व्यक्ति में लक्षण उसके व्यवहार के बजाए शारीरिक लक्षणों से पता चल सकता है.
आम तौर पर होता है कि व्यक्ति जब अपनों से अपनी स्थिति के बारे में बताना भी चाहता है तो लोग नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में व्यक्ति भविष्य में इन भावनाओं को व्यक्त करना कम कर देता है. अक्सर समाज में पुरुषों के लिए लोग पुरानी सोच के अधीन होते हैं.
कहा जाता है मर्द रोते नहीं. ऐसे में व्यक्ति लोगों से अपनी कमजोरी या समस्या शेयर करने के बजाए बाहर से नॉर्मल दिखाने की कोशिश करते हुए, अंदर से मानसिक स्वास्थ्यों से जूझ रहा होता है. खास बात यह है कि ऐसी समस्याएं पुरुषों में महिलाओं की तुलना में बहुत कम होने की संभावना होती है.