(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हाई ब्लड प्रेशर में बढ़त के पीछे क्या सोशल आइसोलेशन का तनाव है जिम्मेदार? शोधकर्ताओं ने किया खुलासा
लॉकडाउन के कारण तनाव को हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में वृद्धि को जिम्मेदार बताया गया है.अर्जेंटीना के शोधकर्ताओं ने ब्लड प्रेशर के मरीजों का आंकड़ा पिछले साल से एक तिहाई अत्यधिक पाया.
अर्जेंटीना में एक नए शोध के नतीजे से खुलासा हुआ है कि हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की तादाद में इजाफे की वजह लॉकडाउन है. 20 मार्च को लगे लॉकडाउन के तीन महीने बाद अर्जेंटीना के एक अस्पताल में इमरजेंसी में लाए गए मरीजों की एक चौथाई तादाद हाई ब्लड प्रेशर के रोग से पीड़ित पाई गई. इसका मतलब हुआ कि 1643 मरीजों में से 391 यानी 23.8 फीसद मरीजों को हाई ब्लड प्रेशर से जूझना पड़ा.
हाई ब्लड प्रेशर का क्या लॉकडाउन है जिम्मेदार?
डॉक्टरों ने बताया कि ब्लड प्रेशर के मरीजों का आंकड़ा पिछले साल 2019 के उसी तीन महीने के मुकाबले एक तिहाई यानी 37 फीसद ज्यादा है. ब्यूनस आयर्स में स्थापित फावालोरो फाउंडेशन यूनिवर्सिटी अस्पताल के शोधकर्ता माटियास फोसको ने कहा, "सोशल आइसोलेशन और हाई ब्लड प्रेशर के बीच संबंध की कई संभावित वजहें हैं." उनका कहना है कि महामारी के कारण बढ़ता तनाव, सुस्त जीवन शैली, सीमित सामाजिक संपर्क के साथ आर्थिक या पारिवारिक मुश्किलों में इजाफा या फिर व्यवहार में बदलाव, खाना, अल्कोहल और वजन वजन में बढ़ोतरी जैसे कारक भी हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकते हैं.
उन्होंने बताया कि मरीजों की उम्र, लिंग, महीने, दिन को मद्देनजर रखने के बावूजद सोशल आइसोलेशन के दौरान इमरजेंसी में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की तादाद में 37 फीसद इजाफा देखने में आया. सोशल आइसोलेशन शुरू होने के बाद हमने पाया कि इमरजेंसी में आनेवाले ज्यादा मरीज हाई ब्लड प्रेशर के थे. मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर की फ्रीकवेंसी की तुलना पिछली दो मुद्दत 2019 के उसी तीन महीने और सोशल आइसोलेशन से पहले तीन महीने से किया गया. शोधकर्ताओं ने धारणा की पुष्टि या रद्द करने के लिए शोध को अंजाम दिया.
शोधकर्ताओं ने किया चौंकानेवाला खुलासा
21 मार्च 2019 से 25 जून 2020 के बीच दाखिल किए गए तमाम मरीजों (98.2 फीसद) को शोध का हिस्सा बनाया गया. लॉकडाउन के तीन महीने के दौरान 1643 मरीजों को इमरजेंसी में दाखिल किया गया. लेकिन जब आंकड़ों का मुकाबला 2019 के उसी तीन और लॉकडाउन से पहले लगे तीन महीनों से किया गया तो मरीजों की तादाद में आधा से ज्यादा कमी देखने में आई.
शोध के नतीजों से खुलासा हुआ कि सोशल आइसोलेशन की मुद्दत के दौरान इमरजेंसी में दाखिल 23.8 फीसद मरीज हाई ब्लड प्रेशर के रोग से पीड़ित थे. ये आंकड़ा तुलनात्मक रूप से 2019 के मरीजों के मुकाबले स्पष्ट रूप से अत्यधिक था क्योंकि 2019 में उस दौरान मरीजों का फीसद 17.5 था जबकि लॉकडाउन से पहले तीन महीने में ये फीसद 15.4 दर्ज किया गया. शोधकर्ता का कहना है कि तीनों मुद्दत के दौरान मरीजों के दाखिले की वजह समान थी. इसलिए हाई ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी के लिए कोई एक कारक जिम्मेदार नहीं था.
नतीजे के आधार पर उन्होंने बताया कि हो सकता है मरीजों ने अस्पताल पहुंचने के दौरान पुलिस कंट्रोल और कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के डर से मनोवैज्ञानिक तनाव महसूस किया हो या हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों ने कोविड-19 के नतीजों पर संभावित नकारात्मक असर के बारे में शुरुआती चेतावनी के कारण दवाइयां लेना छोड़ दिया हो. शोधकर्ता ने बताया कि कोविड-19 और हाई ब्लड प्रेशर के बीच संबंध का पता लगाने के लिए जांच जारी है. अर्जेंटीना में 2020 के मार्च में लॉकडाउन के तौर पर सोशल आइसोलेशन को महामारी से मुकाबला के लिए जरूरी करार दिया गया था.
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