प्रेग्नेन्ट होते हुए कोरोना से संक्रमित महिला के बच्चे को प्रीमैच्योर जन्म का बहुत ज्यादा जोखिम होता है. इसका खुलासा अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने किया है. प्रेग्नेन्सी के 32 हफ्तों से पहले जन्म को समय से बहुत पहले माना जाता है और कोरोना से संक्रमित प्रेगनेन्ट महिलाओं को 60 फीसद अधिक खतरा पाया गया, उसी तरह कोरोना संक्रमित महिलाओं के बच्चों में प्रेगनेन्सी के 37 हफ्ते से पहले जन्म की संभावना 40 फीसद तक बढ़ जाती है. रिसर्च के मुताबिक, जो महिला कोविड-19 के साथ-साथ हाइपरटेंशन, डायबिटीज या मोटापा पीड़ित हो, उसको समय से पहले जन्म का जोखिम 160 फीसद तक बढ़ गया.
प्रेगनेन्सी में कोरोना संक्रमण से प्रीमैच्योर जन्म का जोखिम
शोधकर्ताओं ने बताया कि समय से पहले जन्म के कारण प्रेगनेन्ट महिला और बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और डिलीवरी जितनी जल्दी होगी, दिक्कतों का खतरा भी उतना ही अधिक होगा. उन्होंने कहा कि नतीजे से मालूम होता है कि प्रेगनेन्ट महिला में कोविड-19 की रोकथाम के सुरक्षात्मक उपाय जैसे टीकाकरण बहुत महत्व रखते हैं ताकि समय से पहले डिलीवरी का खतरा कम किया जा सके.
उनका कहना था कि प्रेगनेन्ट महिलाओं को वैक्सीन और बच्चे की सेहत के बारे में चिंता हो सकती है, इसलिए चिंता को कम करने के लिए वैक्सीन के सुरक्षित होने और प्रेगनेन्सी में कोविड-19 संक्रमण के खतरे का सबूत बताना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. शोधकर्ताओं ने जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच कैलिफोर्निया वाइटल स्टेटिस्टिक्स बर्थ सर्टिफिकेट के जरिए सभी बच्चों के जन्म का विश्लेषण किया.
इस दौरान 240,157 बच्चों का जन्म हुआ जिनमें करीब 9 हजार या 3.7 फीसद ऐसे बच्चे थे जिनकी मां में प्रेगनेन्सी के दौरान कोरोना संक्रमण की पहचान हुई. रिसर्च से पता चला कि कोरोना से संक्रमित महिलाओं में समय से पहले जन्म दर 11.8 प्रतिशत था जबकि कोविड-19 से सुरक्षित महिलाओं में 8.7 फीसद. रिसर्च के नतीजे 30 जुलाई को ऑनलाइन दि लांसेट रिजनल हेल्थ में प्रकाशित हुए हैं.
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