Subhas Chandra Bose Jayanti 2023, Murder Mystery: हर साल 23 जनवरी के दिन को नेता सुभाष चंद्र बोस की जयंती के रूप में मनाया जाता है. नेताजी का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था. नेताजी ने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद कराने के लिए कई संघर्ष किए.


लेकिन देश के पराक्रम स्वतंत्रा सेनानी नेताजी का जीवन और खासकर उनकी मृत्यु किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, उनकी मृत्यु हर किसी के लिए ऐसा रहस्य है, जोकि आज तक बनी हुई है. हालांकि 18 अगस्त के दिन को उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है.


कैसे हुई थी सुभाष चंद्र बोस की मौत


सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में हुई थी. जापान जाते समय उनका विमान क्रेश हो गया था. लेकिन नेताजी का शव नहीं मिला. इसलिए उनकी मौत एक बड़ा रहस्य है जोकि लोगों के मन में कई सवालों को खड़ा करता है. नेताजी की मौत क्या एक हादसा थी, हत्या या फिर कोई साजिश?


नेताजी के मौत से जुड़े अनसुलझे रहस्य



  • विमान क्रेश से नेताजी की मृत्यु होने की जानकारी 5 दिन बाद टोक्यो रेडियो द्वारा दी गई. इसमें बताया गया है कि वे जिस विमान से जा रहे थे, वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रेश हो गया. हादसे में नेताजी बुरी तरह जल गए और ताइहोकू के सैन्य अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई. टोक्यो रेडियो में यह भी बताया गया कि, विमान में मौजूद सभी यात्री मारे गए.

  • नेताजी के मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है कि क्या सच में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी. इसके लिए तीन कमेटियां भी तैयार की गई थी, जिसमें से दो कमेटी ने कहा कि, विमान हादसे में ही नेताजी की मौत हुई.

  • वहीं 1999 में बनी तीसरी कमेटी की रिपोर्ट चौंका देने वाली थी. इसके अनुसार 1945 में विमान क्रेश की कोई घटना ही नहीं हुई थी. क्योंकि इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था. लेकिन सरकार द्वारा इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया.

  • नेताजी की मौत के कई सालों बाद उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में उनके देखे जाने की खबर आई. इसमें कहा गया है कि फैजाबाद में रह रहे गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस हैं. इस तरह से गुमनामी बाबा की खबरें और कहानियां मशहूर होने लगीं.

  • गुमनामी बाबा के सुभाष चंद्र बोस होने की खबर पर लोगों का विश्वास इसलिए भी और बढ़ गया, क्योंकि गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके कमरे से जो सामान बराबद हुए तो लोग कहने लगे कि गुमनामी बाबा और कोई नहीं बल्कि नेताजी ही थे.

  • गुमनामी बाबा के संदूक से नेताजी के जन्मदिन की तस्वीरें, लीला रॉय के मौत की शोक सभा की तस्वीरें, गोल फ्रेम वाली कई चश्मे, 555 सिगरेट, विदेशी शराब, नेताजी के परिवार की निजी तस्वीरें, रोलेक्स की जेब घड़ी और आजाद हिंद फौज की यूनिफॉर्म भी थी. इसके अलावा जर्मन, जापानी और अंग्रेजी साहित्य की कई किताबें भी थीं.

  • सरकार ने इस मामले की जांच के लिए भी मुखर्जी आयोग का गठन किया. लेकिन फिर भी यह साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे.

  • नेताजी के मौत से जुड़ी 37 फाइलों को सरकार ने सार्वजनिक किया, लेकिन इसमें भी उनके मौत के पुख्ता सबूत नहीं मिले. इसलिए आज भी नेताजी की मौत को लेकर कई सवाल बरकरार है.


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