विवाह के बाद ही लड़की पर नए रिश्तों को बनाए रखने का बोझ बढ़ता है. उसे नए लोगों के बीच हर रिश्ते को समझना और बनाए रखना होता है. सास, ससुर, देवर और देवरानी रिश्तों में होते हैं, इसमें आयु का अंतर होता है, इसलिए उनके साथ एड़जेस्ट करने में समय लगता है, लेकिन ननद से दोस्ती तेजी से होती है.



  • अगर आपका ननद के साथ रिश्ता अच्छा है तो आपको अपने ससुराल में संतुलन बनाए रखने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन अगर आपका ननद के साथ रिश्ता अच्छा नहीं है तो आपको अपने ससुराल में रहना मुश्किल हो जाता है. घर की इस प्यारी बेटी आपके ससुराल को आपके लिए स्वर्ग और नर्क दोनों बना सकती है. यह इस पर निर्भर करता है कि ननद और भाभी का रिश्ता कैसा है.

  • विवाह के बाद, अगर ससुराल में भाभी को प्यार मिलना शुरू हो जाए, तो कभी-कभी ननद को यह पसंद नहीं आता है. उनके भीतर असुरक्षा बढ़ने लगती है. उनका प्यार बांटा जाता है, जिससे उनके मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होने लगती है. इस प्रकार, ननद अपनी भाभी से ईर्ष्या करने लगती है और धीरे-धीरे वैसी चीजें करने लगती है जिनसे या तो भाभी को कठिनाई में डाल देती है या उसके मन को खराब कर देती है.

  • ईर्ष्या  के कारण ननद भाभी को सुना देती है. तो मुश्किलें बढ़ जाती हैं. अगर ननद यह काम अपनी भाभी के लिए करती है, तो बहु को अपने ससुराल में साँस लेने में भी कठिनाई हो जाती है. चाहे वह सब कुछ 100 प्रतिशत दे, सभी केवल कमियों और ग़लतियों को देखते हैं.

  • अगर कोई नीचा दिखाने वाली ननद मिल जाए जो खुद को घर की बहू से ऊपर और बेहतर समझती है, तो वह किसी भी अवसर को छोड़ती नहीं है जिसमें वह उसे नीचा दिखा सके. चाहे यह कपड़े का चयन हो या कोई राय, वह उन्हें मूल्य नहीं देती, जैसे कि उनका कोई महत्व नहीं है. वह उन्हें दूसरों के सामने शर्मिंदा करने से भी नहीं हटती है.


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