Teenager Likes More Privacy: आजकल सिंगल फैमिलीज में रहने का कल्चर है. बच्चे बड़े होते हैं और उनके स्वभाव में कई तरह के परिवर्तन आते हैं. इन्हीं में से एक है युवाओं में अकेले रहने की आदत. कुछ बच्चे अपने माता-पिता से भी अपनी बातें छुपाने लगते हैं. हालांकि उम्र बढ़ने के साथ ये नॉर्मल है कि स्वभाव में कुछ बातें न बताने की इच्छा पैदा हो. गोपनीयता यानि छुपाने की फीलिंग से बच्चों में जिम्मेदारी की भावना आती है. आइये जानते हैं युवाओं में क्यों आती है छुपाने की आदत?
1- अकेले में आत्मनिरीक्षण कर पाते हैं- टीनएजर बच्चे अपनी कई बातें छुपाने लगते हैं. अकेले ही अपनी गलतियों या फिर नए अनुभवों से जूझते रहते हैं. हालांकि ये आदत उन्हें अपने विचारों और पास्ट में की गई गलतियों पर विचार करने का मौका देती है. इससे वो अपने करियर और जिंदगी के दूसरे पहलुओं के बारे में सोच पाते हैं. उन्हें ये सोचने का मौका मिलता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और भविष्य में क्या कहने से बचना चाहिए.
2- अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल कर पाते हैं- कई रिसर्च में भी ये सामने आया है कि एकांत में रहने से आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम बन पाते हैं. अगर आप किसी से बात करते हैं तो कई बार आपको बहस या फिर बात करके निराश महसूस होना पड़ता है. वहीं कई बार परिवार के लोगों के द्वारा आपकी लाइफ में अपनी चलाने से भी युवा परेशान रहते हैं. ऐसे समय में युवा अकेले रहना पसंद करते हैं. इससे वो शांत रहते हैं और किसी भी मुद्दे पर अपने दृष्टिकोण से सोच पाते हैं.
3- झगड़ों से बचना चाहते हैं- कई बार युवा ये महसूस करते हैं कि उनके माता-पिता उन्हें उतना समर्थ नहीं समझते हैं. उन्हें लगता है कि वो सही निर्णय नहीं ले सकते हैं. ऐसे में लड़ाई झगड़ों से बचने के लिए भी युवाओं में अकेलेपन और चीजों को छुपाने की आदत विकसित हो जाती है. ऐसे में माता-पिता को ये समझना चाहिए कि आप बच्चे को कितनी चीजें छुपाने की अनुमति दे रहे हैं. यह निर्णय लेते समय उन्हें सुरक्षा और गाइडेंस का भी ध्यान रखना चाहिए.
4- अकेले में फ्रीडम महसूस करते हैं- बच्चों को बड़े होने के साथ साथ बहुत सारे लोगों का गाइडेंस मिलता है. उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा दूसरे लोग तय करते हैं. ऐसे में यही वो वक्त भी होता है जब युवा फ्री होकर जीना चाहते हैं. वो अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं. वो अपनी लाइफ के नियम और सीमाएं खुद तय करना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनका सम्मान किया जाए. ऐसे में बच्चे एंकात में रहना शुरु कर देते हैं.
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