Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का व्रत हर विवाहित महिला के लिए बहुत ही खास होता है. यह एक ऐसा त्योहार है जिसे हर पत्नी बहुत उत्साह के साथ मनाती है. इस दिन पत्नियां पूरे दिन के लिए उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. वे पूरे दिन एक भी बूंद पानी तक नहीं पीतीं. यह सब वे अपने पति के लिए करती हैं, ताकि उनका जीवन लंबा और सुखी रहे. लेकिन यूपी में एक ऐसी जगह है जहां महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती है वहां के लोगों का विश्वास है कि यहां पर सती का श्राप है. ऐसा करने से उनके पतियों की जान को खतरा हो सकता है.आइए जानते हैं इस श्राप के बारे में...
मथुरा के सुरीर कस्बे की मांट तहसील में स्थित सुरीर के मोहल्ला वघा में ठाकुर समाज के सैकड़ों परिवार करवा चौथ यानी अहोई अष्टमी का त्योहार नहीं मनाते हैं. मोहल्ला वघा के इन सैकड़ों परिवारों में न तो कोई महिला इस दिन व्रत रखती है और न ही इस अवसर पर कोई खास पूजा-अर्चना की जाती है. महिलाओं के लिए यहां करवा चौथ भी एक सामान्य दिन की तरह ही होता है.
जानें क्यों मिला था श्राप
यहां के लोगों मानना है कि कि सुरीर कस्बे में एक मोहल्ला है, जहां पर एक बार एक बहुत बड़ी घटना हुई थी. नौहझील गांव का एक ब्राह्मण लड़का अपनी नई शादी हुई पत्नी को ससुराल से विदा करके अपने घर लौट रहा था. रास्ते में सुरीर के कुछ लोगों ने उसकी भैंस-बग्गी को खुद का बता कर दावा कर दिया. इस झगड़े में सुरीर के लोगों ने उस लड़के की हत्या कर दी. उस दिन करवा चौथ का त्योहार था. पति की मौत के बाद ब्राह्मण की पत्नी ने गुस्से से श्राप दे दिया कि अगर कोई भी औरत अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखेगी तो उसके पति की मौत हो जाएगी.
यहां महिलाएं नहीं करती है सोलह श्रृंगार
ब्राह्मण की नई नवेली दुल्हन ने अपने पति को मरते हुए देखा, तो वह बहुत गुस्से में आ गई. उसने उस मोहल्ले की सारी औरतों पर श्राप दिया और उसने कहा कि जिस तरह वह अपने पति के शव के साथ सती हो रही है, उसी तरह इस मोहल्ले की कोई भी औरत अपने पति के सामने सज-धज कर यानी सोलह श्रृंगार कर के नहींं रह पाएगी.इस घटना के बाद मोहल्ले की बहुत सारी औरतें विधवा हो गईं. उस समय के बुजुर्गों ने इसे सती के क्रोध का प्रभाव माना. लोगों ने सती से क्षमा मांगी और मोहल्ले में एक मंदिर बनवाकर सती की पूजा शुरू कर दी. पूजा अर्चना के बाद लोगों का मानना है कि औरतें अब कम विधवा हो रही है. लेकिन आज भी वहां करवा चौथ का व्रत नहीं मानाया जाता है.
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