पेट भर खाने के बाद भी दोबारा खाने की क्रेविंग के पीछे कहीं इन 5 चीजों की कमी तो नहीं
आजकल फ़ूड क्रेविंग की समस्या होना आम है. इसी वजह से लोग इस परेशानी पर न ज़्यादा ध्यान देते हैं और न ही इसे ज़रूरी समझते हैं. लेकिन आपको बता दें कि फूड क्रेविंग लगातार महसूस होना सही नहीं. फूड क्रेविंग कई प्रकार के कारणों से होती है जिन्हें अक्सर लोग समझ नहीं पाते जिसकी वजह से आगे चलकर ये आपके स्वास्थ पर बहुत भारी पड़ सकता है. इसलिए आज हम अपने लेख के ज़रिये फूड क्रेविंग के ऐसे ही कुछ छिपे हुए कारणों को आपके सामने लाने जा रहे हैं.
ज़रूरत से ज़्यादा खाना वज़न बढ़ाने का काम करता है लेकिन हर वक़्त खाते रहना आपको बीमारियों की चपेट में ला सकता है. ज़्यादातर लोगों को खाने की अजीब सी आदतें होती हैं. किसी को पेट भर खाने के बाद भी बार-बार भूख लगती है तो किसी को खाने की क्रेविंग होती है. हालांकि फूड क्रेविंग बहुत आम हैं, लेकिन ये लगातार महसूस होना सही नहीं. किसी विशिष्ट प्रकार के भोजन के लिए एक तीव्र या तत्काल इच्छा प्रकट करना स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर स्थियों की ओर संकेत करता है. दरअसल बात ये है कि, फूड क्रेविंग कई प्रकार के कारणों से होती है. ये संकेत, ये कारण होते हमारे सामने ही हैं लेकिन या तो हम इन्हें समझ नहीं पाते या समझकर भी अनदेखा कर देते हैं. आज हम अपने लेख के ज़रिये फूड क्रेविंग के ऐसे ही कुछ छिपे हुए कारणों को आपके सामने लाने जा रहे हैं.
1.लेप्टिन और घ्रेलिन अगर आप पेट भर के खाना खा चुके हैं और तब भी आपको किसी विशेष चीज की क्रेविंग हो रही है, तो ये होर्मोन्स के असंतुलन के कारण हो सकता है. दरअसल लेप्टिन और घ्रेलिन असंतुलन आपकी भूख से जुड़ा हुआ है. ये भूख और परिपूर्णता हार्मोन में असंतुलन के कारण कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक भोजन का अनुभव करवा सकता है. इस तरह ये हार्मोन आपको भुख्खड़ बना सकता है. ऐसे में अगर आुपको बार-बार भूख लगती है, तो आपको अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करनी चाहिए.
2.गट बैक्टीरिया गट बैक्टीरिया आपको पूरी तरह से भुख्खड़ बना सकते हैं. दरअसल, गट बैक्टीरिया में आपके पाचनतंत्र को प्रभावित करने की क्षमता होती है. जिससे आपका पाचनतंत्र ज़्यादा तेज या ज़्यादा धीमा हो सकता है. जब आपके गट बैक्टीरिया तेजी से काम करते हैं, तो जो आप खाते हैं वो तेजी से पच जाता है और आपको फिर से भूख लगने लगती है. वहीं इनकी कमी के कारण भी व्यक्ति को क्रेविंग होती है. इसलिए अपने शारीरिक गतिविधि के स्तर में वृद्धि करें, ताकि ये आपके गट बैक्टीरिया को मैनेज करने में मदद करे.
3.नमक की कमी एक लोकप्रिय धारणा है कि क्रेविंग एक संकेत है कि आपके शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी है. वहीं साइंस भी इस बात को मानता है कि आपके शरीर में जिन चीजों की कमी होती है, शरीर बार-बार उसकी क्रेविंग के रूप में आपको इस बात का अहसास करवाता है. उदाहरण के लिए, नमक की कमी कुछ मामलों में, सोडियम की कमी के कारण हो सकती है. इस कारण ऐसे लोगों को हमेशा मीठे के बाद नमकीन और नमकीन के बाद मीठा खाने की क्रेविंग होती है. इसे बैलेंस करने के लिए अपने सोडियम इंटेक को बैलेंस करें क्योंकि अधिक सोडियम का इंटेक भी इस क्रेविंग को बढ़ाता है.
4.फाइबर और न्यूट्रिएंट्स की कमी शरीर में कुछ खास न्यूट्रिएंट्स की कमी क्रेविंग पैदा करती है. जैसे कि जो लोग अधिक प्रोसेसड फूड्स खाते हैं उनमें फाइबर और न्यूट्रिएंट्स की विशेष कमी होती है. दरअसल खाने में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियों का अपना ही महत्व है. जो लोग इन चीजों को खाने से बचते हैं उन्हें खास मिनरल्स और विटामिन की कमी हो जाती है. वहीं फलों और सब्जियों के फाइबर पेट को भरा-भरा महसूस करवाते हैं, जिसकी कमी होने पर आपको हमेशा भूख लगी रहती है.
5.नींद की कमी बहुत कम या खराब गुणवत्ता वाली नींद भूख को बढ़ाती है. वहीं नींद न आने के कारण भी लोगों को बहुत भूख लगती है और ये चक्र चलता चला जाता है. इसे नियंत्रित करने के लिए आपको अपने स्ट्रेस होर्मोन को संतुलित करना चाहिए, ताकि आपको नींद आए. ऐसे में आपको स्ट्रेस कम करने के लिए योग करना चाहिए और स्ट्रेस कम करने वाली चीजों को खाना चाहिए. ताकि आपको अच्छी नींद आए और ये फूड क्रेविंग कम हो.
इसके अलावा, शोध बताते हैं कि पुरुषों और महिलाओं को विभिन्न खाद्य पदार्थों की क्रेविंग होती है. उदाहरण के लिए, महिलाओं को मीठे स्वाद वाले खाद्य पदार्थों की लालसा होती है, जबकि पुरुषों को चटपटी चीजों की क्रेविंग होती है. पर ये किसी के लिए भी सहीं नहीं है क्योंकि फूड क्रेविंग का बढ़ना मोटापा और डायबिटीज जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकता है.
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