डायबिटीज के दौरान पैरों की नहीं की देखभाल तो..
नईदिल्ली: आमतौर पर लोग सोचते हैं कि डायबिटीज सिर्फ ब्लड शुगर प्रॉब्लम है लेकिन ये सच नहीं है. डायबिटीज के कारण नर्व और ब्लड वैसल्स डैमेज हो जाती हैं और यदि न्यूरोपैथी विकार विकसित हो जाएं तो आपके पैरों को भी नुकसान पहुंचता हैं. ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीक मरीज समय रहते पैरों की देखभाल करें. जानिए, डायबिटीज मरीज कैसे पैरों को स्वस्थ रख सकते हैं. इस बारे में एबीपी न्यूज ने मयूर विहार के सुयश फीजियाथेरेपी क्लीनिक के फीजियोथेरेपिस्ट डॉ. अजीत अलख से बातचीत की.
डॉ. अलख का कहना है कि सबसे पहले तो आपको ये पता होना चाहिए कि डायबिटीज मरीजों को पैरों की देखभाल क्यों करनी चाहिए? डॉ. के मुताबिक, डायबिटीज के कारण जब नर्व डैमेज होती हैं तो पैरों पर उसका बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
डायबिटीज के कारण डायबिटीक न्यूरोपैथी (मधुमेह स्नायुरोग) विकार हो जाता है जिसमें पैर सुन्न हो जाते हैं. ऐसे में पैरों पर कोई दरार पड़ती है या कट लगता है तो मरीज को उसके बारे में समय रहते नहीं पता चलता.
कई बार चलते हुए पैर में मोच आ जाती है या बैलेंस बिगड़ जाता है तब भी डायबिटीज मरीजों को किसी चोट का अहसास तक नहीं होता. यदि मोच आ भी गई तो कितना दर्द है या कितनी तेज पैर में लगी है इसका भी उन्हें अहसास नहीं हो पाता.
मरीज को यदि कोई इंफेक्शन हो गया या फिर कोई इंजरी हुई है तो उसको आसानी से पता नहीं चल पाता. कई बार पैरों में समस्या इतनी बढ़ जाती है कि पैर काटने तक की नौबत आ सकती है.
इतना ही नहीं, पैरों से जुड़ी कोई भी समस्या यदि ब्लड वैसल्स के संपर्क में जाए तो इस प्रॉब्लम को नियंत्रित करना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है.
क्या कहते हैं आंकड़े- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के 2013 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या तकरीबन 6.3 करोड़ थी. जबकि अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन एटलस 2015 के अनुसार, तकरीबन 6.9 करोड़ भारतीय मधुमेह से पीडित हैं.
डॉ. अजीत के मुताबिक, डायबिटीज होने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता. नतीजन, इलाज के दौरान मरीज को यदि कोई ड्रग या दवाएं दी जाएं तो उनका असर भी कम हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि पैरों की देखभाल समय रहते कर लें.
ऐसे करें पैरों की देखभाल- डायबिटीज मरीज थोड़ी सी सावधानी से पैरों की समस्या को होने से रोक सकते हैं.
आरामदायक फुटवियर- सबसे पहले तो मरीजों को आरामदायक फुटवियर्स पहनने चाहिए. जूते हो या स्लीपर्स ओवरफीटिंग नहीं होनी चाहिए. कई बार जूते हल्के से टाइट होते हैं तो लोग उनके ढीले होने का इंतजार करते हैं. लेकिन डायबिटीज मरीज ये गलती ना करें.
कई बार नए फुटवियर्स पहनने से पैरों में छाले पड़ जाते हैं या दर्द होने लगता है. ऐसी स्थिति में अपने फुटवियर्स तुरंत बदल लें. फुटवियर्स खरीदते समय ध्यान रखें कि अंदर का सोल नरम होना चाहिए और नीचे का हिस्सा हार्ड. इससे पैरों की अच्छी तरह से देखभाल होगी.
एसएसओ का फंडा अपनाएं- अगर डायबिटीज मरीज एसएसओ फंडा अपनाएंगे तो पैर स्वस्थ रहेंगे और सेल्स डैड नहीं होंगे. साथ ही ना तो दरार पड़ेंगी और ना ही इंफेक्शन होने का डर होगा. एसएसओ यानी सोख, स्क्रबिंग और ऑयलिंग.
आप पैरों को नमक या डिटोल के पानी में डालकर कुछ देर पर भिगोकर रखें. या फिर आप हल्के गुनगुने पानी में पैरों को 20 मिनट तक डूबोकर रख सकते हैं. इसके बाद हल्के हाथों से पैरों की स्क्रबिंग करें. इससे डेड सेल्स भी खत्म होंगे और त्वचा नरम होगी. स्क्रबिंग के बाद पैरों की ऑयलिंग करें. यदि आप तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो मॉश्चराइजर लगाएं. पैरों की नमी बरकरार रखने के लिए आप दिन में कई बार मॉश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पैरों की देखरेख- रोजाना पैरों को चैक करें. आप चाहे तो पैरों को चैक करने के लिए शीशे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. आप रोजाना चैक करें कि पैरों में कोई दरार या स्क्रैच या चोट तो नहीं. पैरों को दबा-दबा कर देखें कहीं कोई दर्द तो नहीं. इससे आप समय रहते पैरों की होने वाली समस्या से बच सकते हैं. यदि पैरों में कोई प्रॉब्लम है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते इलाज करवाएं.