Kolhapur History: कोल्हापुर, महाराष्ट्र (Maharashtra) में एक बहुत ही प्रसिद्ध जगह है. यह शहर दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में पंचगंगा नदी के किनारे स्थित है. पुणे से इसकी दूरी महज 230 किलोमीटर दूर स्थित है. कोल्हापुर शहर पर्यटकों का एक बड़ा केंद्र है, जहां हर दिन बड़ी संख्या में देसी और विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं. कोल्हापुरी हार और चप्पलों के लिए फेमस है. महाराष्ट्र के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से कोल्हापुर के है. यहां के धार्मिक स्थल काफी प्रसिद्ध हैं. लेकिन जिस शहर में आपको घूमना पसंद है, क्या आप उसके इतिहास के बारें में जानते हैं? उसका नाम कैसे पड़ा, कैसे यह पर्यटन स्थल बना? आइए जानते हैं इसकी दिलचस्प कहानी, क्या है इसका पौराणिक महत्व..
कोल्हापुर का इतिहास
कोल्हापुर शहर का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यह शहर ब्रिटिश भारत के समय भारतीय मराठा की राजकीय रियासत था. उस समय यह दक्कन के अंतर्गत आता था. भारत की आजादी से पहले ये शहर 19 तोपों की सलामी रियासत के नाम से भी जाना जाता था. यह शहर शुरू से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है.
कैसे पड़ा कोल्हापुर का नाम
प्राचीन काल और मध्यकाल में इस शहर को 'दक्षिण काशी' के अलावा 'अंबाबाई' के नाम से भी जाना जाता था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस नगर में एक कोल्हासुर राक्षस रहता था. जिसके अत्याचारों से लोग बहुत परेशान थे. लोगों ने महालक्ष्मी देवी से प्रार्थना की तो देवी ने कोल्हासुर राक्षस से 9 दिनों तक युद्ध किया और अंत में कोल्हासुर हार गया. युद्ध हारने के बाद कोल्हासुर राक्षस मां महालक्ष्मी से बोला कि देवी से वर मांगा की, इस शहर को उसके नाम से पहचाना जाए. तब से अब तक इस शहर को कोल्हासुर का नाम बदलकर कोल्हापुर रख दिया गया.
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