Mangalsutra Tradition: शादी के बाद महिलाओं के गले में मंगलसूत्र पहनने की रिवाज है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के बाद महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं. मंगलसूत्र न सिर्फ महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाता है बल्कि ये सुहाग का प्रतीक भी है. मंगलसूत्र मंगल और सूत्र दो शब्दों को मिलकर बना है. ‘मंगल’ का अर्थ होता है पवित्र और ‘सूत्र’ का मतलब होता है पवित्र हार. हिंदू धर्म में वैवाहिक जीवन का सबसे बड़ा प्रतीक मगंलसूत्र को माना जाता है. शादी के बाद महिलाएं मंगलसूत्र जरूर पहनती हैं. पति की लंबी आयु और जीवन की रक्षा के लिए मंगलसूत्र पहनना जरूरी है. मंगलसूत्र पहनना किसी भी महिला की संपन्नता का प्रतीक है.


मंगलसूत्र की मान्यता
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता कि है कि शादी के बाद पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं सोहल श्रृंगार करती हैं. इसमें मंगलसूत्र का सबसे ज्यादा महत्व है. मंगलसूत्र आपके सुहाग को बुरी नजर से बचाता है. मंगलसूत्र का खोना, टूटना अपशगुन माना जाता है. मंगलसूत्र सदा सुहागन होने की निशानी है. 


मंगलसूत्र की धार्मिक मान्यता 
कहा जाता है मंगलसूत्र का पीला भाग पार्वती माता और काला भाग भगवान शिव का प्रतीक होता है. शादी के बाद भगवान शिव और पार्वती सुहाग की रक्षा करते हैं. मंगल सूत्र कई जगहों पर पीले धागे से बनता है. मंगलसूत्र में पीले रंग का होना भी जरूरी है. पीले धागे में काले रंग के मोती पिरोए जाते हैं. कहा जाता है कि काला रंग शनि देवता का प्रतीक होता है. ऐसे में काले मोती महिलाओं और उनके सुहाग को बुरी नजर से बचाते हैं. पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है जो शादी को सफल बनाने में मदद करता है.


ये भी पढ़ें: Tradition And Culture: महिलाएं क्यों पहनती हैं मांग में टीका, जानिए हिंदू धर्म में टीका पहनने की परंपरा और वैज्ञानिक कारण