Varanasi Travel: वाराणसी में गंगा नदी के आसपास शोरगुल और एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए सरकार की पहल के तहत अब नौकाएं एनवायरनमेंट फ्रेंडली CNG पर चलने लगी हैं. सरकार के मुताबिक, अभी तक 583 बोट को सीएनजी से चलने वाली नौकाओं में तब्दील कर दिया गया है. इसका जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी में चलने वाली ज्यादातर नावों को एनवायरनमेंट फ्रेंडली फ्यूल से बदलने की प्लानिंग है. इन नावों को CNG की सप्लाई नमो घाट पर गेल की तरफ से स्थापित देश के पहले फ्लोटिंग CNG स्टेशन से की जा रही है.


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई महीने में गंगा नदी पर सीएनजी से चलने वाली नावों को चलाने की इच्छा जाहिर की थी. 500 नौकाओं के टारगेट की तुलना में 583 नौकाओं को पहले ही CNG में तब्दील किया जा चुका है. सरकार अब 2 हजार नावों को सीएनजी से चलाने की जद्दोजहद में जुटी है. सीएनजी फ्यूल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाराणसी की पवित्र गंगा पर सीएनजी से चलने वाली नौकाओं को चलाने का टारगेट रखा गया है.


कम होगा प्रदूषण


हरदीप पुरी ने बताया कि डीजल इंजन के मुकाबले सीएनजी इंजन कम प्रदूषण फैलाते हैं. ये सल्फर डाइऑक्साइड जैसी नुकसानदायक गैसों का एमिशन भी नहीं करते हैं. इसके अलावा, CNG इंजन बहुत शांत होते हैं. इसके इस्तेमाल से जल के जीवन और घाटों के साथ जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों पर डीजल इंजनों के ज्यादा शोर के बुरे प्रभावों को काफी कम किया जा सकता है. हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हमारे लिए ये एक बहुत जरूरी कदम है. वाराणसी पूरे विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक है. यहां परंपरा और आधुनिकता का मिलन होता है. CNG इंजन से सिर्फ प्रदूषण की मात्रा में ही कमी नहीं आती है, बल्कि नौका चलाने वालों के लिए 25 हजार रुपये से 30 हजार रुपये तक बचाने में भी काफी मदद मिलेगी.


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